5 किलोमीटर पहले ही ड्रॉप गेट के पास रोका जा रहा व्रतियों का वाहन
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
औरंगाबाद। चार दिवसीय आस्था का महापर्व छठ को लेकर हर जगह भक्तिमय माहौल बना हुआ है। स्वच्छता और प्राकृतिक से जुड़ा यह पर्व आज हर किसी के लिए महत्वपूर्ण हो चुका है। औरंगाबाद जिला का नाम छठ को लेकर हर जगह जाना जाता है क्योंकि यहां देव प्रखंड मुख्यालय में भगवान भास्कर का विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है जो लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। हर वर्ष दो बार छठ पूजा का आयोजन श्रद्धालु करते हैं। पहला चैत माह में एवं दूसरा कार्तिक माह में। सूर्य नगरी देव में जिला प्रशासन औरंगाबाद के अनुसार इस वर्ष कार्तिक छठ मेला में लगभग 10 लाख से अधिक छठव्रतियों के आने का अनुमान है जो बिल्कुल सही लग रहा है। क्योंकि छठ पूजा के दूसरे दिन खरना होता है और इस दिन देव में बिहार के अलावा पूरे भारत से लगभग 2 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। देव में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला 24 घंटे जारी है जो 7 नवंबर को दिया जाने वाला पहला अर्घ्य तक रहेगा।
देव में छठ करने के लिए लाखों श्रद्धालुओं के आने की वजह से यहां हर वर्ष जाम की समस्या हो जाती है। जाम इतनी भयावह होती है कि सुबह वाले अर्घ्य के दिन पारण करने के बाद श्रद्धालुओं को अपने घर जाने के लिए रात तक का इंतजार करना पड़ जाता है। देव आने के लिए चारों तरफ से रोड बना हुआ है और सभी रोड सिंगल है। रोड के किनारे खेत में धान की फसल लगी रहती है। ऐसे में पार्किंग की समस्या हर जगह होती है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा जगह-जगह ड्रॉप गेट बनाकर वाहनों के पार्किंग के लिए जगह सुनिश्चित किया गया है ताकि जाम की समस्या से निजात मिल सके। छठ के पहले दिन व्रतियों का वाहन देव थाना के सामने बने ग्राउंड तक पहुंच गया था लेकिन दूसरे दिन व्रतियों की संख्या में वृद्धि होने के कारण सूर्य मंदिर से 5 किलोमीटर पहले ही वाहनों को रोक दिया जा रहा है। वहां से श्रद्धालुओं को पैदल आने में परेशानी ना हो इसके लिए निशुल्क ऑटो का संचालन भी सभी मार्गों में किया जा रहा है। जो उन्हें बहुआरा मोड़ के पहले तक पहुंचा रहा है।
चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने खरना किया। व्रतियों ने स्नान के बाद संध्या काल में पुरे पवित्रता के साथ गुड़ और चावल से खीर बनाकर तथा घी लगी रोटी का भोग छठी मइँया को लगाया। उसके बाद प्रसाद को खुद ग्रहण कर एवं खीर व रोटी को प्रसाद के तौर पर लोगों को बीच वितरण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास की शुरुवात की। व्रती भोग लगाने को ठेकुआ का प्रसाद तैयार करने में लग गयी। आज यानी गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। शाम में व्रती पवित्र घाटों पर जाकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे। छठ गीतों से पूरा वातावरण गूंज रहा है। हर घर से छठ गीत के बोल सुनाई दे रहे हैं। शुक्रवार को सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रती 36 घंटे की निर्जला उपवास को तोड़ेंगी। छठ प्राकृतिक से जुड़ा पर्व है। इसमें भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। शास्त्रों में वर्णित देवताओं में भगवान सूर्य नित्य दर्शन देते हैं। इसकी पूजा से मन्नते पूरी होती है।
शहर के शाहपुर अदरी नदी घाट, विराटपुर घाट, पुलिस लाइन घाट, जसोइया घाट व शहर से सटे भरथौली, रायपुरा, पवई घाटों की सफाई कर सजाया गया है। अदरी नदी घाट पुराने घाटों में से एक है। शहर के व्रती लोग यही अर्घ्य देने आते हैं। यहां भगवान सूर्य का मंदिर भी अवस्थित है। पर्व को लेकर नदी व सूर्य मंदिर के सामने अवस्थित तालाब की बेहतर तरीके से सफाई की गई है। तालाब में ताजा जल भरा गया है। हर जगह नगर परिषद द्वारा बेहतर सफाई कराया गया है। यहां सूर्य मंदिर घाट व पिपरडीह घाट पर 50 हजार के आसपास व्रती व श्रद्धालु के आने की उम्मीद है।