आमोद कुमार
कोईलवर। बिहार के कई जिलों की मिठाई आप ने खाया होगा। कोईलवर व परेव का पिआव भी खाइये। विदेशों तक यहां की मिठास के लोग दीवाने हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं कोईलवर व परेव के पिआव का। बताते हैं परेव का खूंटा साव के पिआव दुकान पर पिआव का शुद्धता आपको मिलता है। यहां का पिआव अगर आप एक बार खा लें तो फिर आपको दूसरे जगह का पिआव फीका लगने लगेगा। बच्चे, बूढ़े हों या जवान कोईलवर व परेव का पिआव नाम सुनते ही मुंह में पानी आ ही जाता है। देश में मिठाइयों का महत्व सिर्फ स्वाद तक ही सीमित नहीं है, यह हमारी संस्कृति और परंपरा का एक अनूठा हिस्सा भी है। कुछ मिठाइयां अपने अनोखे नाम और अद्भुत स्वाद के कारण जानी जाती हैं और हम चाहकर भी उसे भूल नहीं पाते हैं। बिहार की एक ऐसी ही मिठाई है जिसे लोग ‘पिआव’ के नाम से जानते हैं।
‘पिआव’ मिठाई का नाम सुनते ही सबके अंदर उत्सुकता पैदा होती है कि आखिर इसका स्वाद कैसा होगा। बिहार में बनने वाला ‘पिआव’ लोगों की जिंदगी में रस घोलने का काम करता है। यह मिठाई शुद्ध छेने और खोये से बनाई जाती है और इसका स्वाद मुंह में जाते ही आनंदित कर देता है। इसे बनाने की प्रक्रिया बेहद आसान है, लेकिन इसका स्वाद उतना ही खास है। बिहार में खाने पीने की चीजें अच्छी-अच्छी मिलती हैं। यहां के लिट्टी चोखा से लेकर चंपारण मीट तक का स्वाद पूरे देश की जुबान पर चढ़ा हुआ है। यहां की मिठाइयां भी पूरे देश-विदेश में प्रसिद्ध है। बिहार के सोनटतीय इलाके में यह मिठाई काफी लोकप्रिय है। भोजपुर जिले के कोईलवर व पटना के परेव इलाके में तो ये मिठाई कई अर्षों से बन रहा है और यह न सिर्फ स्थानीय लोगों बल्कि देश-विदेश में भी अपनी पहचान बना चुकी है। जो भी इस मिठाई को एक बार चखता है, वह इसे भूल नहीं पाता है।
पिआव मिठाई की पहचान बिहार ही नहीं पूरे देश और विदेशों में भी है। यहां से लोग पिआव मिठाई का एडवांस में ऑर्डर देकर देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाते हैं। बिहार से विदेश जाने वाले लोग भी अपने साथ यह मिठाई जरूर ले जाते हैं। इस कारण ‘पिआव’ ने भारत की मिठाइयों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। यह मिठाई लगभग 10 दिनों तक ताजा रहती है। इस मिठाई की कीमत मात्र 200 से 250 रुपये प्रति किलो है। इसे आम लोग भी आसानी से खरीद सकते हैं। अगर आप बिहार के स्वाद का असली अनुभव लेना चाहते हैं तो ‘पिआव’ मिठाई को जरूर चखें। बिहार की ‘पिआव’ मिठाई न केवल एक अद्वितीय स्वाद का अनुभव कराती है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाती है।