नवबिहार टाइम्स संवाददाता
मसौढ़ी। मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्ष ने लामबंदी तेज कर दी है। ऐसे में बुधवार को महागठबंधन की ओर से बिहार में चक्का जाम का ऐलान किया है। जहां सुबह सही मसौढ़ी में कर्पूरी चौक, रेलवे गुमटी चौराहा, धनरूआ में पभेडी मोड, वीर बाजार, बेलदारी चक मोड, पुनपुन में पुनपुन बाजार, अजय चौक के अलावा कुल 14 जगहों पर टायर जला कर सड़क जामकर, सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। बिहार बंद में विपक्ष के सभी पार्टियों सड़कों पर उतरकर विरोध कर कर रहे हैं। मसौढ़ी में राजद के अलावा कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीएम और ट्रेड यूनियन भी विरोध प्रदर्शन करते नजर आए हैं। बिहार बंद के दौरान सड़कों पर बड़े-बड़े वाहनों का परिचालन ठप तक रहा, सभी दुकानें बंद रही।
दरअसल बिहार में इसी साले होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम चला रहा है। राजद और कांग्रेस समेत कई दल चुनाव आयोग के इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ विपक्ष ने लामबंदी तेज करते हुए महागठबंधन ने 9 जुलाई को बिहार में चक्का जाम का ऐलान किया है। इसमें महागठबंधन के सभी दल चक्का जाम में शामिल हुए है। वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है। भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आयोग ने कागजात और तस्वीरों को लेकर जो ताजा सूचना दी है, उसकी आवश्यकता मतदाता पुनरीक्षण में नहीं है। कहा कि आयोग ने अब कहा है कि निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी दस्तावेजों के बिना भी सत्यापन पर निर्णय ले सकता है। उन्होंने कहा कि अगर अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर छोड़ा गया तो वे मनमानी करेंगे।
जन अधिकार पार्टी के नेता महेंद्र सिंह अशोक ने कहा सरकार अपने फायदे के लिए दबाव डालकर उनसे नाम हटवा सकती है। उन्होंने कहा कि जब जनवरी में मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है तो फिर से प्रक्रिया शुरू करना संदेह पैदा करता है। इसलिए आयोग को तुरंत इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। राजद अध्यक्ष राकेश पंडित ने कहा एसआइआर के लिए अभी न तो पर्याप्त समय है और न ही दस्तावेज सभी नागरिकों के पास उपलब्ध हैं। कुछ वैध दस्तावेजों राशन-कार्ड, मनरेगा जाब-कार्ड आदि को स्वीकार नहीं करने पर भी उन्होंने आपत्ति जताई है।
भाकपा माले के कमलेश ने कहा कि हम चुनाव आयोग के इस कदम के खिलाफ हैं। इन नियमों बार-बार नागरिकता साबित करनी होगी। बिहार चुनाव से पहले लाए गए निर्वाचन आयोग के नए संशोधन नियमों का मुख्य लक्ष्य 2026 का बंगाल चुनाव है। नए फैसले से प्रवासी श्रमिकों को परेशानी होगी। ट्रेड यूनियन के प्रकाश ने सरकार अपने फायदे के लिए दबाव डालकर उनसे नाम हटवा सकती है। उन्होंने कहा कि जब जनवरी में मतदाता सूची का प्रकाशन हो चुका है तो फिर से प्रक्रिया शुरू करना संदेह पैदा करता है। इसलिए आयोग को तुरंत इस निर्णय को वापस लेना।
बंदी के दौरान राजद के प्रखंड अध्यक्ष राकेश पंडित, भाकपा माले के जिला सचिव कमलेश कुमार, कांग्रेस के मृत्युंजय पांडे, इंद्रमणि देवी, मनोज मुखिया, जन अधिकार पार्टी के महेंद्र सिंह, अशोक, सुरेंद्र साव समेत सैकड़ो की संख्या में समर्थक रहे।