नवबिहार टाइम्स संवाददाता
फुलवारी शरीफ। पटना के सगुना मोड़ की रहने वाली 74 वर्षीय महिला को हृदय की गंभीर बीमारी से जूझना पड़ रहा था। लंबे समय से वह सिवियर एऑर्टिक स्टेनोसिस की शिकार थीं, जिसमें हार्ट का अहम वाल्व सिकुड़ जाता है और सांस लेने में कठिनाई के साथ अचानक मौत का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर इस स्थिति में ओपन हार्ट सर्जरी ही एकमात्र विकल्प माना जाता था, लेकिन बुजुर्ग मरीजों के लिए यह प्रक्रिया बेहद जोखिमभरी होती है। ऐसे में पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल पटना की कार्डियक साइंसेस टीम ने आधुनिक तकनीक ट्रांसकैथेटर एऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) का सहारा लिया। इस तकनीक में छाती पर बड़ा चीरा लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। डॉक्टरों ने जांघ की नस से नया वाल्व डालकर हृदय में प्रत्यारोपित कर दिया।
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जावेद अनवर, डॉ. सिद्धनाथ सिंह और डॉ. राम सागर राय ने मिलकर यह जटिल प्रक्रिया पूरी की। डॉक्टरों के मुताबिक सामान्य ओपन हार्ट सर्जरी में मरीज को कई दिन अस्पताल में रहना पड़ता है, जबकि टीएवीआर तकनीक से महिला सिर्फ दो दिन में ही स्वस्थ होकर घर लौट गईं। पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार ने इसे चिकित्सा जगत में बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह तकनीक खासकर बुज़ुर्ग और गंभीर हृदय रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है।
परिवार ने भी डॉक्टरों और अस्पताल का आभार जताया और कहा कि पारस एचएमआरआई की बदौलत उनकी माँ को नई ज़िंदगी मिली है।