नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। औरंगाबाद शहर के कर्मा रोड स्थित चित्रगुप्त सभागार सह लोकनायक जयप्रकाश नारायण सांस्कृतिक भवन समेत पूरे जिले में गुरुवार को ज्ञान और बुद्धि के देवता श्री श्री चित्रगुप्त की पूजा हर्षोल्लास के साथ की गयी। सुबह वैदिक मंत्रोचारण के बीच पूरे विधि – विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा – अर्चना की गई और इसमें कायस्थ परिवार समेत समाज के अन्य वर्गों के लोगों ने पूजन के क्रम में अपना साल भर का ब्योरा लिखकर भगवान को समर्पित किया। इस महोत्सव का आयोजन जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) औरंगाबाद के द्वारा किया गया।
ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के अध्यक्ष कमल किशोर ने बताया कि चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत गुरुवार को सुबह 11 बजे से हुई। इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया। संध्या में महाआरती, महाप्रसाद और सामूहिक प्रीतिभोज का कार्यक्रम किया गया। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव को सफल बनाने में जीकेसी के अजय श्रीवास्तव, अजय वर्मा, इं बी के श्रीवास्तव, डॉ अनिल कुमार सिन्हा, डॉ शीला वर्मा, श्रीराम अम्बष्ट, महेंद्र प्रसाद, मधुसूदन प्रसाद सिन्हा, राजू रंजन सिन्हा, राजेश सिन्हा, सूर्यकांत, दीपक बलजोरी, सुनील सिन्हा, गणेश प्रसाद लाल बाबू, अमीत कुमार, संजय सिन्हा, अभय सिन्हा समेत सभी चित्रांशों का विशेष योगदान रहा। सभी के सहयोग से ही हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह कार्यक्रम का सफल आयोजन किया जा गया।
श्री किशोर ने बताया कि कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ परिवार के लोग धूमधाम के साथ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है। चित्रगुप्त कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त को कलम का देवता माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संतान हैं। वह ज्ञान के देवता हैं। भगवान चित्रगुप्त को यमराज का सहायक देव माना जाता है। भगवान हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा लिखकर, यमदेव के कायों में सहायत प्रदान करते हैं। श्री किशोर ने बताया कि चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मदेव के अंश से हुआ और इनके वंशज कायस्थ कहलाए।
कायस्थ पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही कलम और बही – खाते की भी पूजा करते हैं क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को प्रिय हैं। इसके साथ ही अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित की जाती है। एक प्लेन पेपर पर अपनी इच्छा लिखकर पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के चरणों में अर्पित करते हैं। इस दिन परिवार के लोग कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
दाउदनगर में भी चित्रांश एकता संघ की ओर से भव्य चित्रगुप्त पूजा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग दिया। औरंगाबाद शहर के बराटपुर मुहल्ला के चित्रगुप्त मंदिर में भी अजय कुमार संतोष की अध्यक्षता में चित्रगुप्त पूजा का आयोजन किया गया जबकि चित्रगुप्त नगर में भी स्थापित भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा के सामने उनकी आराधना की गई।