नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
पटना। प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य एवं लंगरटोली स्थित दूबे क्लिनिक के निदेशक डॉ. सुनील कुमार दूबे (गुप्त एवं यौन रोग विशेषज्ञ) ने कहा है कि आंवला प्रकृति का एक शानदार तोहफा है। उन्होंने आगे कहा कि पूरे विश्व में एक ही ऐसा फल है, जिसे अमृत समान माना गया है। विशेष बात यह है कि इस फल का अवतरण भारत में हुआ और इसे देवताओं के अत्यंत करीब माना जाता है, इसका धार्मिक महत्व भी है और पुराणों तक में इसका वर्णन है। यह इतना लाभकारी है कि इसके वृक्ष तक की पूजा की जाती है।
आंवला मनुष्य को जवान बनाए रखने के साथ-साथ निरोगी भी बनाए रखता है। आंवला को अंग्रेजी में Indian Goosberry कहा जाता है। आंवला के अंग्रेजी नाम से ही स्पष्ट है कि इसकी उत्पत्ति भारतीय उप-महाद्वीप में हुई है। इस फल का वर्णन उपनिषदों, पुराणों के अलावा भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी है। इसका वर्णन जैमिनीय उपनिषद, स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी है।
मान्यता है कि सृष्टि के सृजन के क्रम में सबसे पहले आंवले का वृक्ष ही उत्पन्न हुआ। इन ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जहाँ-जहाँ विष की हल्की बुँदें टपकी, वहाँ पर भांग-धतूरा जैसी बूटियाँ पनपी और जहाँ अमृत की बूँदें छलकी वहाँ आंवला, पीपल, अशोक आदि के पेड़ पैदा हुए। एक मान्यता यह भी है कि आंवले की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के आंसुओं से हुई।
भारत में आंवले के वृक्ष को यह विशिष्टता हासिल है कि वर्ष में दो बार इसकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि आंवले के पेड़ को पूजने से धन-धान्य का आगमन होता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी आंवला को मानव शरीर के लिए विशेष लाभकारी बताया गया है। चरक संहिता के अनुसार आंवले में लवण रस को छोड़कर बाकी अन्य पाँच रस कटु, अम्ल, तिक्त, कषाय, मधुर होते हैं। यह त्रिदोष नाशक है और कफ-पित्त का अत्यधिक शत्रु है। सुश्रुत संहिता के अनुसार आंवला शरीर के दोषों को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है और यह आयुवर्द्धक है।
डॉ. दूबे ने आगे कहा कि इसे अमृत फल इसलिए कहा जाता है कि यह मनुष्य को निरोगी रखता है और उसकी आयु बढ़ाता है। आंवला एक अति उत्तम एंटी-ऑक्सीडेंट भी है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रोल को घटाने एवं इंसूलिन बनाने की प्रक्रिया में मदद करता है। अतः यह हृदय के लिए भी अत्यंत लाभकारी है एवं ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है।
आंवला जॉण्डिस (पीलिया) में भी अत्यंत लाभकारी है। रक्त को साफ करने में भी मदद करता है। आंवला खाने में कोई हानि नहीं है। लेकिन अधिक खाये जाने पर एसिडीटी एवं कब्ज़ की समस्या हो सकती है। पेशाब में जलन की समस्या भी आ सकती है। जिन्हें किडनी की समस्या है, उन्हें आंवले से परहेज़ करना चाहिए ।
डॉ. दूबे ने आगे कहा कि आंवला में प्रोटीन 16%, विटामिन-सी 60%, कार्बोहाइड्रेट 2%, निकोटिक एसिड 15% तथा वसा 1% पाया जाता है। यह बालों के भी अत्यंत लाभदायक है। रात्रि में सूखे आंवले को पानी में भिगों दें। उसके बाद सुबह आंवले को निकालकर उस पानी से सिर को धोएँ, इससे बाल तो हमेशा काले रहेंगे, नज़ले की समस्या भी नहीं होगी।