औरंगाबाद। नवबिहार टाइम्स संवाददाता
जिले के सोन बालू घाटों के निकट किए गए बालू के पहाड़नुमा डंप से बड़े पैमाने पर बालू की ब्लैक मार्केटिग हो रही है। इससे बालू खरीदने वाले लोग तो परेशान हैं ही, राज्य सरकार को भी कर के मद में भारी नुकसान हो रहा है। डंप के माध्यम से बालू के व्यवसाय में लिप्त लोग इसकी ब्लैक मार्केटिंग कर मालोमाल हो रहे हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर खनन विभाग के अधिकारी भी गोल मटोल जवाब देकर चुप्पी साध लेते हैं। इससे बालू की ब्लैक मार्केटिग में विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्तता दिखाई दे रही है।
बता दें कि अभी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर नदियों से बालू खनन पर रोक लगी हुई है। आदेश के मुताबिक नदियों से खनन पर रोक 15 जून की मध्य रात्रि से लेकर 15 अक्टूबर 2024 तक प्रभावी रहेगी। ऐसे में डंप किये गये बालू की बिक्री पर मूल्य नियंत्रण के लिए प्रभावकारी तंत्र नहीं होने के कारण ठेकेदार मनमाने दामों पर बालू की बिक्री कर रहे हैं। प्रत्येक 1 हजार सीएफटी के बदले ग्राहकों को 7 से 8 हजार रुपए तक भुगतान करना पड़ रहा है। बालू के मूल्य में अप्रत्याशित रूप से हुई बढ़ोतरी से घर बनाने का सपना संजोए लोगों के लिए यह मूल्य वृद्धि उनके सपने को चकनाचूर कर रहा है।
जिला खनिज विकास पदाधिकारी विकास कुमार की मानें तो जिले में घाट की बंदोबस्ती हुई है और बंदोबस्तधारियों को बालू के खनन एवं बिक्री की सुविधा दी गयी है। खनन पर प्रतिबंध के बाद वे अपने पास स्टॉक में रखे गये बालू को ही के-लाइसेंस के माध्यम से बेच सकेंगे। सरकार द्बारा खनन पर अगले चार महीने तक रोक लगाये जाने के बाद निश्चित तौर पर जरूरतमंदों को उजले एवं लाल बालू को आवश्यक कार्यों के लिए उपयोग हेतु महंगे दर पर खरीदना पड़ सकता है लेकिन विभाग के मानक के अनुसार ही बालू बिक्री की अनुमति है।
उन्होंने बताया कि 1 हजार सीएफटी 5 से 6 हजार के बीच में मिलना चाहिए। इससे अधिक मूल्य पर यदि कोई बालू बिक्री करता है तो उस पर विभाग उचित कार्रवाई करेगी। इस संबंध में विभाग को सूचित करें। उन्होंने कहा कि यह सही है कि चार महीना के लिए नदी से बालू निकालने पर रोक लगने के कारण पहले की अपेक्षा बालू की कीमत में उछाल आया है। अब डंप बालू ही सप्लाई होगा लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि विक्रेता मानक के विपरीत मनमाने दामों पर बालू बिक्री करें। बालू की कीमत में अचानक उछाल से गृह निर्माण पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बालू के बढ़े दामों पर अंकुश लगाने के लिए विभाग की कोई पॉलिसी नहीं है।
जिले में हैं 22 बालू लाइसेंसधारी
आदित्या इंटरप्राइजेज (बराही मोड़, रजोई, रफीगंज), अद्बिका कंस्ट्रक्शन (जसोइया मोड़, औरंगाबाद), अनुज कुमार सिह (रतनुआ, औरंगाबाद), अरुंजय कुमार गौतम (महावर रोड, सिपहा), अशोक बिल्डकॉन लिमिटेड (सिमरी जैतिया, नबीनगर), कुमार हर्ष (दाउदनगर), कुंदन किशोर (ओरा टोला, पचरुखिया, हसपुरा), मनीष कुमार (महावर रोड, सिपहा), मनोज कुमार (महावर रोड, सिपहा), एमएस सौरव इंंटरप्राइजेज (चंद्रगढ़, नबीनगर), पवनसूत इंटरप्राइजेज (शाहपुर, औरंगाबाद), प्रवीण कुमार सिह (रतनुआ, औरंगाबाद), प्रिय रंजन कुमार सिह (तरारी, दाउदनगर), आरके ट्रांसपोर्ट एंड कंट्रेशन लिमिटेड (अंछा, दाउदनगर), राहुल कुमार (महावर रोड सिपहा), राजीव कुमार गौतम (महावीर रोड, सिपहा), शशिकांत सिह (दशवतखाप, मदनपुर), सुधीर कुमार परमार (रतनुआ), वेद प्रकाश सिह (टेंगरा, बारून), वेद प्रकाश सिह (डिहरा, बारून) एवं वेद प्रकाश सिह (रेपुरा, ओबरा)