पटना। नवबिहार टाइम्स संवाददाता
अवधेश नारायण सिंह को बिहार विधान परिषद का कार्यकारी सभापति बनाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार उनके नाम पर सहमति बन गई है। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। देवेश चंद्र ठाकुर ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 14 जून को सभापति पद से इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों ने अनुसार, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर जल्द ही अवधेश नारायण सिंह को विधान परिषद का कार्यकारी सभापति बनाये जाने संबंधी अधिसूचना जारी कर देंगे। अगले महीने शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान सभापति और उपसभापति का विधिवत चुनाव होगा।
सूत्रों की मानें तो अवधेश नारायण सिंह सभापति और रामबचन राय उपसभापति होंगे। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एनडीए के सहयोगी दलों से विचार विमर्श के बाद इन दोनों नामों पर अपनी सहमति दे दी है। प्रो. राय पहली बार विधान परिषद के उप सभापति होंगे। अवधेश नारायण सिंह इससे पहले 2012 में विधान परिषद के कार्यकारी सभापति बनाए गए थे। उनका पहला कार्यकाल 2017 में समाप्त हुआ था। दूसरा कार्यकाल 25 अगस्त 2022 तक चला। उसके बाद जदयू के देवेशचंद्र ठाकुर सभापति बने।
अब अवधेश नारायण सिंह के परिषद के सभापति बनने के बाद विधान मंडल के दोनों सदनों का प्रधान पद भाजपा के पास चला जाएगा। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव भाजपा कोटे के हैं। इससे पहले, 2005 से 2020 तक विधानसभा का अध्यक्ष पद जदयू के पास रहा। 2020 में भाजपा के साथ साझा सरकार बनने पर विधानसभा का अध्यक्ष पद भाजपा के पास चला गया, लेकिन 2022 में परिषद के सभापति का पद जदयू के पास चला आया था। अब फिर यह भाजपा के पास जा रहा है।
वैसे, अवधेश नारायण सिंह के सभापति बनने में सिर्फ उनका भाजपा से होना महत्वपूर्ण नहीं है। इससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके निजी संबंध बहुत अच्छे हैं। बता दें कि मौजूदा समय में बिहार विधान परिषद में कुल 75 सदस्य हैं। इसमें भाजपा 24 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। उसके बाद जदयू के 21 सदस्य हैं। देवेश चंद्र ठाकुर की सीट भी खाली हो रही है, जिस पर आने वाले समय में चुनाव होगा। ऐसे में जदयू के सदस्यों की संख्या घटकर 20 हो जाएगी।