- राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता छोड़ थामा भाजपा का हाथ
- कुशवाहा वोट में पढ़ सकती है दरार
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
नई दिल्ली/औरंगाबाद। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले महागठबंधन उम्मीदवार उपेंद्र प्रसाद पर होली के बाद भी अब भगवा रंग चढ़ गया है । उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता त्याग कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की । गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ के साथ उन्हें भी भाजपा की सदस्यता दिलाई गई ।
विदित हो कि उपेंद्र प्रसाद ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के टिकट पर औरंगाबाद संसदीय सीट से वर्ष 2019 का चुनाव लड़ा था । उस वक्त हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा महागठबंधन का ही हिस्सा था जिसे कांग्रेस रालोसपा के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल का भी जोरदार समर्थन हासिल था । उस चुनाव में उपेंद्र प्रसाद ने अपनी अच्छी ताकत दिखाई थी और उन्होंने 357 169 वोट हासिल किए थे. यह बात अलग है कि इतना ज्यादा वोट लाने के बाद भी वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह से 70552 मतों से चुनाव हार गए थे । इस चुनाव के बाद यह माना जाने लगा था कि औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र में कुशवाहा बिरादरी से आने वाले उपेंद्र प्रसाद एक मजबूत ध्रुव बन सकते हैं लेकिन बाद में उपेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता ग्रहण कर ली. इससे उनकी राजनीतिक ताकत और बढ़ी हुई मानी जाने लगी थी । राजद भी इन्हें लगातार अति पिछड़ा वर्ग के प्रमुख नेता के रूप में प्रस्तुत करता रहा था. माना जा रहा था कि अगर इस बार औरंगाबाद सीट राजद के हिस्से में आती है तो राजद अति पिछड़ा वोट कार्ड खेलने के चक्कर में उपेंद्र प्रसाद पर फिर से दांव लगा सकती है लेकिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सबों को चौंकाते हुए जनता दल यूनाइटेड के नेता अभय कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल कर कर बिल्कुल अंतिम मौके पर उन्हें औरंगाबाद संसदीय सीट के लिए अपनी पार्टी का उम्मीदवार बना दिया. यह उपेंद्र प्रसाद के लिए बड़ा झटका था । उपेंद्र प्रसाद का अच्छा राजनीतिक कद रहा है और अति पिछड़ा समाज में विशेष कर अपने स्वजातीय मतदाताओं में उनकी अच्छी पकड़ रही है । इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उनके असंतोष को देखते हुए उन्हें अपने यहां जगह दे दी । राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस सोच के साथ राजद ने औरंगाबाद से कुशवाहा उम्मीदवार उतारा है, भारतीय जनता पार्टी कुशवाहा और अति पिछड़ा वर्ग पर ज्यादा ही फोकस कर रही है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के इसी बिरादरी से आने, काराकाट में एनडीए के उम्मीदवार के रूप में उपेंद्र कुशवाहा को उतारने के बाद भाजपा ने यह तीसरी बड़ी चाल चली है जिसका असर औरंगाबाद संसदीय सीट पर सीधे तौर पर नजर आ सकता है और यह कुशवाहा मतदाताओं के एक तरफा ध्रुवीकरण की किसी भी संभावना को ध्वस्त करने की भाजपा की जबरदस्त कोशिश है ।