नवबिहार टाइम्स संवाददाता
मसौढ़ी। मोक्षदायानी आदि गंगा पुनपुन के पावन तट पर अंतर्राष्ट्रीय पितृपक्ष मेला में रविवार की सुबह से लेकर शाम तक लगभग तकरीबन 5000 से अधिक पिंडदानी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड का पहला तर्पण किया, पिंडदानियों की भीड़ इस कदर रही कि कई पिंडदानी अपने कर्मकांड का इंतजार करते दिखे। बहरहाल 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन पुनपुन नदी में पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान रहा है।
पुनपुन नदी के तट स्थित आसपास के घाटों पर पूरे दिन हर घंटे हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की आवाजाही होती रही. इन जगहों पर भीड़ काफी अधिक होने से बैठकर कर्मकांड करने के लिए तीर्थयात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा था। पुनपुन पांडा समिति के सचिव रिंकू बाबा ने बताया की वायु पुराण सहित कई अन्य हिंदू धार्मिक धर्म ग्रंथो के अनुसार मान्यता है कि तीर्थ में तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान करने वाले श्राद्ध कर्ताओं के पितरों को मुक्ति, अक्षय लोकों की प्राप्ति व करने वालों का उद्धार होता है।
पुनपुन घाट पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड का तर्पण करने आए गोयल परिवार ने बताया कि हम सभी चार परिवार के लोग आए हैं जो हरियाणाष कोलकाता, रायपुर, शिलांग से आए हैं यहां व्यवस्था बहुत ही अच्छा है। बिहार सरकार ने बहुत ही अच्छा प्रयास किया है, पुनपुन नदी का काफी महत्व है यहां के बाद गया जाएंगे, छत्तीसगढ़ से आए सुशील कुमार गोयल, शिलांग से आए मंजू गोयल ने बिहार सरकार की व्यवस्था को तारीफ की पुनपुन नदी तट पर इसका महत्व के बारे में भी बताया।