5 महीने के लंबे इंतजार के बाद वर-वधु अब ले सकेंगे अग्नि के सात फेरे
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
जहानाबाद। धरती के पालनहार भगवान विष्णु 4 माह तक क्षीर सागर में शयन के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी पर निद्रा से जागते हैं, इसके बाद ही कोई मांगलिक कार्य प्रारंभ होता है। इस संबंध में आचार्य डॉ श्रीनिवास शर्मा बताते हैं कि 8 जून से गुरु के अस्त होने के बाद से विवाह का शुभ मुहूर्त नहीं था। ऐसे जोड़े जिनकी विवाह तय भी हो गई थी उन्हें पांच माह तक शादी के शुभ मुहूर्त के लिए इंतजार करना पड़ा। उन्होंने बताया कि विवाह का शुभ मुहूर्त अब 2 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है जो इस वर्ष 6 दिसंबर तक चलेगा।
देवउठनी एकादशी के बाद नवम्बर माह में विवाह का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होगा। नवंबर माह में- 02, 03, 06, 08, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 एवं 30 नवम्बर तक कुल चौदह दिनों तक विवाह का शुभ मुहूर्त होगा। वहीं दिसंबर माह में मात्र तीन दिन- 4, 5 एवं 6 दिसंबर को विवाह का शुभ मुहूर्त होगा।
आचार्य शैलेन्द्र शर्मा बताते हैं कि 6 जुलाई को यानि आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी थी। माना जाता है कि इस दिन से 4 माह तक के लिए धरती के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन या विश्राम के लिए चले जाते हैं। इसलिए इन चार माह में कोई भी मांगलिक कार्य आयोजित नहीं की गई। चातुर्मास का समापन 01 नवम्बर को यानि अगहन माह में हो चुका है। आज से विवाह का शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा।