.रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं की दिशा में अग्रसर करने वाला एक बड़ा कदम
कोलकाता। रेल यात्रियों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की दिशा में दक्षिण पूर्व रेलवे ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए ₹324.54 करोड़ की लागत से कवच प्रणाली के क्रियान्वयन को मंजूरी दी है। यह अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक अब 525 रूट किलोमीटर और 136 लोकोमोटिव्स पर लागू की जाएगी। यह परियोजना “एसईआर कवच बैलेंस वर्क्स” के अंतर्गत संचालित होगी, जिसका उद्देश्य पूरे दक्षिण पूर्व रेलवे क्षेत्र में 100 प्रतिशत कवच सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही यह पहल भारतीय रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं की दिशा में अग्रसर करने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
.क्या है कवच प्रणाली?
कवच भारतीय रेलवे द्वारा विकसित एक स्वदेशी, टकराव-रोधी तकनीक है जो लोकोमोटिव और ट्रेनों में इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण की व्यवस्था से सुसज्जित होती है। यह प्रणाली सिग्नल उल्लंघन को रोकने, ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने तथा लोको पायलट की त्रुटियों के बावजूद स्वचालित ब्रेकिंग की सुविधा प्रदान करती है। कवच के माध्यम से न केवल दो ट्रेनों के बीच की टक्कर रोकी जा सकती है, बल्कि घने कोहरे व कम दृश्यता की स्थितियों में भी ट्रेनों का संचालन सुरक्षित रूप से संभव होता है।
.प्रत्याशित लाभ
इस योजना के पूर्ण हो जाने पर दक्षिण पूर्व रेलवे की समूची रेल पटरियों पर कवच प्रणाली का कवरेज होगा, जिससे सिग्नल पास करने की त्रुटियों और आपसी टकराव की संभावना को पूर्णतः समाप्त किया जा सकेगा। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि रेलवे पर आम जनता का विश्वास भी और अधिक मजबूत होगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार यह परियोजना प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना एवं रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप है। इससे भारतीय रेल की छवि एक सुरक्षित, आधुनिक एवं विश्वसनीय परिवहन साधन के रूप में और सशक्त होगी। ज्ञात हो कि कवच प्रणाली को पहले ही कुछ जोनल रेलवे में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है और यह वैश्विक मानकों के अनुरूप सुरक्षा मुहैया कराने वाली तकनीक के रूप में उभर रही है।