नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। बिहार राज्य फार्मेसी परिषद पटना के निर्वाचित सदस्य विकास कुमार सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न पदों (जैसे-फार्मासिस्ट, अस्पताल प्रबंधक, ब्लॉक अस्पताल प्रबंधक, कम्युनिटी प्रोसेस कोऑर्डिनेटर, काउंसलर, मेडिकल रिकॉर्ड तकनीशियन आदि) के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की जा रही है। इस संदर्भ में निवेदन है कि बी फार्मेसी और एम फार्मेसी की डिग्री को भी अनिवार्य/वैकल्पिक योग्यता के रूप में सम्मिलित किया जाए।
श्री सिंह ने कहा है कि व्यावसायिक दक्षता के अंतर्गत बी फार्मेसी और एम फार्मेसी स्नातक औषधियों के निर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण, क्लिनिकल फार्मेसी, रिसर्च, वितरण एवं भंडारण की गहन वैज्ञानिक जानकारी रखते हैं। दोनों डिग्रियाँ फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त हैं तथा समूचे भारत में फार्मासिस्ट पंजीकरण एवं उच्च स्तरीय पदों के लिए मान्य हैं। बी फार्मेसी और एम फार्मेसी स्नातकों की नियुक्ति से दवा वितरण प्रणाली, अनुसंधान आधारित निर्णय एवं रोगी देखभाल और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित एवं तकनीकी दृष्टिकोण से सुदृढ़ होगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलते परिदृश्य, नई दवाओं, क्लिनिकल ट्रायल्स व प्रौद्योगिकियों के उपयोग हेतु एम फार्मेसी स्नातक और भी विशेषज्ञता प्रदान करते हैं। वहीं बी फार्मेसी और एम फार्मेसी के पाठ्यक्रम में मैनेजमेंट, कंप्यूटर एप्लीकेशन, हॉस्पिटल एंड क्लिनिकल फार्मेसी मैनेजमेंट, एडमिनिस्ट्रेशन आदि विषय भी शामिल होते हैं।
ऐसे में इन डिग्रियों के स्नातक दवा आपूर्ति श्रृंखला, अस्पताल प्रबंधन एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े पदों पर एमबीए डिग्रीधारकों के साथ-साथ समान रूप से दक्ष एवं सक्षम हैं।