हिन्दी-सेवियों को विविध अलंकरणों से किया गया सम्मानित
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
पटना। हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किए जाने तक अनवरत संघर्ष के संकलप के साथ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 106वें स्थापना दिवस समारोह और दो दिवसीय 43वें महाधिवेशन का समापन हो गया। इस अवसर पर समारोह के उद्घाटनकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सीपी ठाकुर तथा मुख्य अतिथि बिहार के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने हिन्दी सेवियों को विविध अलंकरणों से सम्मानित भी किया। प्रदेश के विश्रुत विद्वान प्रो महेंद्र मधुकर को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि प्रदान की गयी।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध लेखक डा ओम प्रकाश पाण्डेय की पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति के विविध आयाम’ तथा लेखिका डा नम्रता कुमारी की पुस्तक ‘थारु जनजाति की धार्मिक मान्यताएँ’ का लोकार्पण भी किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा बनायी जाए, इसलिए उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को भी पत्र लिखे हैं। ख्यातिलब्ध गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र, मेरठ विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रवींद्र कुमार, चंडीगढ़ के विद्वान साहित्यकार डा जसबीर चावला, अयोध्या के सुविखात साहित्यकार विजय रंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा मधु वर्मा ने किया। मंच का संचालन अनुपमा सिंह ने किया। गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक विराट राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आहूत हुआ, जिसमें साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवयित्री संस्कृति मिश्र, रमेश कंवल, कुसुम सिंह ‘लता’, आराधना ग्रान प्रसाद, आदित्य रहबर, चिदाकाश ग्रान सिंह ‘मुखर’, सिपाही पाण्डेय की ‘मनमौजी’, महेश्वर ओझा ‘महेश’, आरपी घायल, भगवान पाण्डेय, लक्ष्मी सिंह, माला कुमारी, दिव्या मणिश्री, तलत परवीन, ई अशोक कुमार, नीलम श्रीवास्तव, स्मिता, चुन ऋता शेखर ‘मधु’, सुनील चंपारणी आदि कवियों और कवयित्रियों ने काव्य-पाठ किया।
इस दौरान प्रो महेन्द्र मधुकर को सर्वोच्च मानद उपाधि विद्यावाचस्पति दी गयी। इसके साथ ही डा चन्द्रकिशोर पाण्डेय ‘निशान्तकेतु’, प्रो रवीन्द्र कुमार, पूर्व कुलपति, मेरठ, कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड, विजय रंजन, डा जसबीर चावला, महेश बजाज, डा रत्नेश्वर सिंह, ऋता शेखर ‘मधु’, स्मिता सहित कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।