औरंगाबाद। नवबिहार टाइम्स संवाददाता
जिले के बारुण प्रखण्ड के पिपरा गांव में एक सफेद कौआ देखा गया है। इस कौवे को जिसने भी देखा सहसा उसे विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब पास से देखा गया तो वह कौवा ही था। सफ़ेद कौवा यों तो दक्षिण बिहार में कहीं पाया नहीं जाता है। यह कौवा कहां से आया है या किस कारण से सफेद हो गया है सभी जानना चाहते हैं।
इस संबध में स्थानीय निवासी और शिक्षक राजा दिलीप सिंह बताते हैं कि यह कौआ पिपरा गांव के पंचायत भवन से लेकर आसपास के चार से पांच किलोमीटर के दायरे में देखा जाता है। इसे कभी कभार ही लोग देख पाते हैं। वह बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार इस सफेद कौवे को देखा जो उनके घर के बाहर ही दाना चुग रहा था। पहले तो उन्हें लगा कि यह कोई दूसरा पक्षी जैसे कबूतर या पंडुक है। कौतूहल बस जब वे पास गए तो उन्होंने देखा कि यह कबूतर नहीं बल्कि कौवा ही है जो की सफेद हो गया है। इसके बाद गांव के कई लोगों ने उसे देखा। कई लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था।
वहीं इस संबंध में मिश्रा ज्योतिष केंद्र के प्रमुख ज्योतिषाचार्य और पुरोहित पंडित संतोष कुमार मिश्र ने इसे दैविक चमत्कार बताया। उन्होंने बताया कि दरअसल कौवा पहले सफेद ही होते थे। जो कि एक ऋषि के श्राप के कारण काले पड़ गए हैं।
हालांकि इस संबंध में विज्ञान की राय अलग है। पशु वैज्ञानिक डॉ आलोक कुमार भारती ने बताया कि ऐसे कौवे में मेलानिन नहीं बनने की वजह से उसका पूरा शरीर सफेद हो जाता है। यहां तक पंख और शरीर के अन्य भाग भी सफेद हो जाते हैं, जबकि आंख का रंग पिंक या फिर रेड हो जाता है। ऐसा होना जेनेटिक डिसऑर्डर है जो सफेद कौवा में बचपन से ही होता है। 30 हजार कौओं में से एक ही कौआ उजला होता है। यह एक ल्युसिज्म नाम की बीमारी होती है।