छठ पर्व को बताया लोक आस्था और अनुशासन का प्रतीक
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
गया। लोक आस्था के महापर्व छठ के पावन अवसर पर मंगलवार की सुबह बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी प्रभावती देवी ने भी व्रत में शामिल होकर भगवान सूर्यदेव और छठी मैया से बिहार तथा गया जिले के सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की।
सूर्यदेव के प्रति अगाध श्रद्धा प्रकट करते हुए प्रेम कुमार ने कहा कि छठ पर्व लोक आस्था, शुद्धता और अनुशासन का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व केवल सूर्य उपासना का उत्सव नहीं, बल्कि परिवार और समाज के सामूहिक समर्पण का परिचायक भी है। उन्होंने कहा कि गया सहित पूरे बिहार में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा, उत्साह और शांति के वातावरण में मनाया जा रहा है, जिससे पूरे राज्य में भक्ति और एकजुटता का संदेश प्रसारित हो रहा है।
मंत्री ने शहर के सभी घाटों पर की गई स्वच्छता, सुरक्षा, रोशनी और अन्य व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, बिजली विभाग, नगर निगम और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने समन्वय और निष्ठा के साथ कार्य किया, जिसके कारण श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं को भी बधाई दी, जिन्होंने लगातार कई दिनों तक घाटों और सड़कों की सफाई तथा व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाई।
प्रेम कुमार ने कहा कि छठ पर्व बिहार की सांस्कृतिक पहचान का सबसे उज्ज्वल प्रतीक है। इसमें निहित सादगी, पवित्रता और लोक संस्कृति की परंपरा हमें एकता, अनुशासन और श्रद्धा का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि यह पर्व सामाजिक सद्भाव और पारिवारिक एकजुटता को सशक्त बनाता है, क्योंकि इसमें पूरा समाज एक परिवार की तरह मिलकर श्रद्धा और सेवा की भावना से सहभागी होता है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि सभी लोग छठ पर्व को स्वच्छता, सौहार्द और अनुशासन के साथ मनाएँ, ताकि यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा बन सके।
प्रेम कुमार ने कहा कि सूर्य उपासना का यह अनोखा पर्व मानव और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध का प्रतीक है, जो हमें संतुलन, संयम और आत्मनियंत्रण का जीवन-पाठ सिखाता है। मंगलवार की सुबह गया के विभिन्न घाटों पर छठव्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही। अर्घ्य के समय पूरा वातावरण “छठी मइया के जयकारों” से गूंज उठा और शहर की पवित्र धरती आस्था, भक्ति और लोक परंपरा की अलौकिक छटा से आलोकित हो उठी।