नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। देश में मधुमेह (डायबिटीज) के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण पाने और इस बीमारी के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों का दो दिवसीय राज्यस्तरीय सम्मेलन औरंगाबाद में शुरू हो गया। यह महत्वपूर्ण आयोजन “रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया” के बिहार चैप्टर द्वारा किया जा रहा है, जिसमें बिहार और देशभर के करीब 300 से अधिक डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर हिस्सा लिए हैं। औरंगाबाद स्थित एमएलएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी के ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. अनुज माहेश्वरी, सीसीडीएसआई के संस्थापक अध्यक्ष डॉ ए एन रॉय, आईसीपी के डीन डॉ कमलेश तिवारी, डॉ सुभाष कुमार, डॉ विजय कुमार सिंह, आरएसएसडीआई बिहारकॉन के आयोजन सचिव डॉ. बी. के. सिंह आदि ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया।
भारत में मधुमेह की बढ़ती समस्या
आरएसएसडीआई के अध्यक्ष डॉ. अनुज माहेश्वरी ने बताया कि भारत तेजी से मधुमेह की राजधानी बनता जा रहा है। यह बीमारी केवल बढ़ती उम्र के लोगों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि युवाओं और बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि संयमित जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को अपनाकर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. माहेश्वरी ने चिंता जताते हुए कहा कि डायबिटीज को लेकर समाज में कई भ्रांतियां फैली हुई हैं। लोग वैज्ञानिक उपचार के बजाय नीम-हकीमों और घरेलू नुस्खों पर भरोसा कर लेते हैं, जिससे बीमारी और गंभीर हो जाती है। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को सटीक चिकित्सकीय परामर्श और आधुनिक उपचार पद्धतियों को अपनाना चाहिए।
नए शोध और उन्नत चिकित्सा पद्धतियों पर होगा मंथन
सीसीडीएसआई के संस्थापक अध्यक्ष डॉ ए एन रॉय ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में डायबिटीज से जुड़ी नई दवाओं, शोधों और अत्याधुनिक उपचार पद्धतियों पर भी चर्चा की जाएगी। विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों के लिए प्रभावी और कम खर्चीले इलाज की दिशा में किए जा रहे नवीनतम प्रयोगों पर अपने शोध प्रस्तुत करेंगे। डॉ. रॉय ने कहा कि वर्तमान चिकित्सा पद्धतियों और स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से मधुमेह के दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य डायबिटीज से निपटने के लिए डॉक्टरों और समाज को सही दिशा में जागरूक करना है।
आरएसएसडीआई बिहारकॉन के आयोजन सचिव डॉ. बी. के. सिंह ने बताया कि इस सम्मेलन में 15 से अधिक वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें 75 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सक मधुमेह से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। इन सत्रों में डायबिटीज के कारण, उपचार, रोकथाम, आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों, नई दवाओं, इंसुलिन तकनीकों और जीवनशैली में सुधार के तरीकों पर गहन चर्चा होगी। डॉ सिंह ने बताया कि इस आयोजन में बिहार के 280 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अन्य राज्यों से 20 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉक्टर ने भाग लिया है। इस कॉन्फ्रेंस में मेडिसिन में स्नातकोत्तर (एमडी) की पढ़ाई कर रहे युवा चिकित्सकों को भी आमंत्रित किया गया है, ताकि वे डायबिटीज के उपचार और नए शोधों की जानकारी प्राप्त कर सकें।
विदित हो कि औरंगाबाद में हो रहा यह दो दिवसीय सम्मेलन डायबिटीज के इलाज और नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सक न केवल अपने शोध प्रस्तुत करेंगे, बल्कि डायबिटीज रोगियों को बेहतर जीवन देने के लिए नई रणनीतियों पर भी विचार करेंगे। इस आयोजन से युवा डॉक्टरों को भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा, जिससे भविष्य में बेहतर उपचार प्रणाली विकसित की जा सकेगी।
मौके पर डॉ एस. बी. प्रसाद, डॉ ओमप्रकाश, डॉ अजय कुमार, डॉ सुप्रियो मुखर्जी, डॉ विजय कुमार, डॉ आनंद शंकर, डॉ मनीष प्रसाद आदि मौजूद रहे।