औरंगाबाद। नवबिहार टाइम्स संवाददाता
एक समय था जब बिहार के पिछड़े इलाके के बच्चे पॉलिटेक्निक अथवा किसी भी तकनीकी शिक्षा को हासिल करने के लिए दूसरे राज्यों में जाया करते थे. वहां आने-जाने और रहने की लागत इतनी ज्यादा हो जाती थी की गरीब परिवार से आने वाले बच्चे कभी ऐसी तकनिकी डिग्री हासिल करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे. लेकिन बिहार सरकार की पहल पर औरंगाबाद जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर धनाडी गांव में स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की प्रतिभाओं के सपनों को अब नई उड़ान दे रहा है।
इस पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस दृष्टिकोण को अमली जामा पहुंचने की कोशिश के रूप में हुई जिसके तहत हर जिले में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज तथा एक इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाने की घोषणा की गई थी. 2019 में स्थापित यह कॉलेज शुरुआती दौर में छपरा में संचालित हुआ लेकिन 2021 से औरंगाबाद धनाडी गांव में इसका जब नया भवन बना तो यह संस्थान अपनी वास्तविक जगह जाकर प्रतिष्ठित हुआ।
आज यह संस्थान औरंगाबाद जिले और बिहार का गौरव बना हुआ है जहां से अबतक लगभग 1000 छात्र छात्राएं बेहतरीन शिक्षा प्राप्त कर पास आउट हो चुके हैं और विविध क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहे हैं. आज संस्थान के विभिन्न संकायों में लगभग 300 छात्र छात्राएं अध्यनरत हैं जिनमें सिविल में 120, मैकेनिकल इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर में 60-60 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
इस कॉलेज के प्राचार्य डॉ विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि इस कॉलेज की व्यवस्था में व्यापक सुधार किया गया है. जिन पदों पर रिक्तियां थी उन्हें अनुबंध के आधार पर भर गया है और हाल ही में लैब टेक्नीशियन के 14 पदों पर बहलियाँ की गई है. यहां की प्रयोगशाला सुविधा बहुत शानदार है जिसका फायदा यहां के छात्र-छात्राओं को मिलता है. उन्होंने बताया कि यहां पढ़ने वालों में छात्राओं की संख्या भी अच्छी खासी है और लगभग 35% छात्राएं इस कॉलेज में अध्ययन कर रही हैं जिनका पसंदीदा विषय सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस है।
डॉक्टर सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में यहां केंपस प्लेसमेंट को लेकर थोड़ी अड़चन थी लेकिन वर्तमान समय में संबंधित विभाग, बिहार सरकार और कॉलेज प्रबंधन के तालमेल से केंपस प्लेसमेंट को और सशक्त बनाया जा रहा है ताकि इस विद्यालय के छात्र-छात्राओं का कैंपस सलेक्शन हो सके. उन्होंने बताया कि यहां के कुछ छात्रों को तो काफी बेहतर जॉब ऑफर मिले हैं लेकिन कॉलेज प्रबंधन का प्रयास है की ज्यादा से ज्यादा प्रतिष्ठित कंपनियां इस कॉलेज में आए तथा कैंपस सलेक्शन करें. इस दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस कॉलेज में 60% बच्चे औरंगाबाद, अरवल, सासाराम जैसे आसपास के ग्रामीण इलाकों से आते हैं तथा 40% बच्चे उत्तर बिहार के सुदूरवर्ती इलाकों से आते हैं. इन सभी की प्रतिभाओं को निखारने की कोशिश इस परिसर में की जा रही है तथा उन्हें सर्वोत्तम सुविधा देने के प्रयास किया जा रहे हैं. इसका नतीजा है कि यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन लगातार बेहतर होता जा रहा है. हाल ही में यहां के एक छात्र को बहुत ही आकर्षक पैकेज पर फ्रांस की कंपनी द्वारा जॉब ऑफर की गई है।
कॉलेज के शिक्षक और मीडिया प्रभारी शाहिद अख्तर बताते हैं कि बेहद अल्प समय में इस कॉलेज ने प्राचार्य डॉ विनोद कुमार सिंह के नेतृत्व में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका प्राप्त कर ली है और जो कमियां थीं उसे दूर कर लिया गया है. आज ये संस्थान आपने छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा और प्लेसमेंट देने की दिशा में अग्रसर है. तो इस प्रकार बिहार के बच्चों को राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज औरंगाबाद से मिल रहे हैं नए क्षितिजों तक उड़ने के नए पंख।