गठबंधन दल प्रतिदिन वोट चोरी से हक चोरी का एक नया खुलासा करेगा
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
फुलपरास (मधुबनी)। राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ एक नई क्रांति का आगाज है। राहुल गांधी-तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के साथी लगातार भाजपा और चुनाव आयोग की साँठ-गाँठ से वोट चुराने के खुलासे कर रहे हैं। ये बातें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव सह सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संवाददाता सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा कि बिहार में वोट चोरी के सबसे ताजे खुलासे ने भाजपा-जदयू व चुनाव आयोग के ‘‘ढोल की पोल’’ खोल दी है। ताजे खुलासे में सामने आया है कि पिपरा, बगहा व मोतिहारी विधानसभा क्षेत्रों में 3,590 जगह 20 या 20 से ज्यादा वोटर दर्ज किए गए, जिनकी संख्या 80,000 से अधिक है। यह स्पेशल इंटेसिव रिवीज़न (SIR) की पोल खोलता है।
गाँव गलीमपुर, पिपरा विधानसभा के बूथ नंबर 320, घर नंबर 39 में 459 वोटर तथा बूथ नंबर 319, घर नंबर 4 में 509 वोटर दर्ज हैं। यहाँ दलित समाज, अग्रवाल समाज (दास) व ब्राह्मण समाज (झाल) के सब लोगों को एक घर में ही वोटर दर्शाया गया है। वाल्मिकी नगर विधानसभा में तो 1,000 से अधिक वोट उत्तर प्रदेश से बने मिले, जहाँ नाम, पिता का नाम, आयु, रिश्तेदार का नाम एक जैसे हैं। एक उदाहरण है, वाल्मिकी नगर के वोटर छेदीराम, आयु 45 साल, रिश्तेदार सुखीराम, EPIC नंबर UM3397304, जो उत्तर प्रदेश की खड्डा विधानसभा में छेदीराम, आयु 45 साल, रिश्तेदार का नाम सुखीराम, EPIC नंबर PWZ3526795 से दर्ज है। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं।
वोट चुराकर सरकारें हथियाई जा रही हैं, आखिर ये लोग देश के लोगों के सरकार बनाने के हक को क्यों छीनना चाहते हैं और चोरी की सरकार से आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं, वोट-चोरी और आपके हक-चोरी के बीच के गहरे नाते कोः-
1. भ्रष्टाचार अपार, चोरी की सरकार
हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट ‘‘स्टेट फाइनेंस रिपोर्ट नंबर-1’’ 2025 विधान सभा में रखी है और उसमें यह आशंका जाहिर की गई है कि गरीबों के नाम पर विभिन्न योजनाओं में 70,877.61 क़रोड़ रुपये का गबन कर लिया गया है। कैग ने पाया है कि बिहार सरकार के पास इस बात का कोई लेखा जोखा नहीं है कि ये पैसे कहाँ खर्च किए गए गए हैं।
2. दी गरीबी भरपूर, किया पलायन को मजबूर
बिहार की जेडीयू सरकार ने कास्ट-वाईज़ सोशो-इकॉनॉमिक रिपोर्ट (07/11/2023) में बताया कि बिहार आकंठ गरीबी में डूबा हुआ है। बिहार के 94.42 लाख से अधिक परिवार अर्थात लगभग 5 करोड़ लोग 40 रुपये प्रतिदिन पर जिंदा हैं और 81.91 लाख परिवार अर्थात 4 करोड़ लोग 67 रुपये प्रतिदिन पर जिंदा हैं। इसका अर्थ है कि बिहार के लगभग 14 करोड़ लोगों में से 9 करोड़ लोग अर्थात 64% आबादी 67 रुपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति से कम पर अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं।
3. युवा बेरोजगार, चोरी की सरकार
बिहार में भाजपा-जेडीयू की सरकार ने बिहार के नौजवानों की उम्मीदों की बोली लगाकर उनके भविष्य को बेच दिया। (i) बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा (2017 और 2023) का पेपर लीक हुआ। (ii) अमीन भर्ती परीक्षा (2023) का पेपर बेचा गया। (iii) बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हुआ। (iv) बिहार उत्पाद विभाग (2021-22) का पेपर लीक हुआ। (v) बीपीएससी 67वीं पीटी (2022) का पेपर लीक हुआ। (vi) केंद्रीय चयन परिषद का पेपर लीक हुआ। (vii) बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसायटी, सीएचओ स्वास्थ्य विभाग, सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (2024) की ऑनलाईन परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ। (viii) नीट का पेपर (2023) लीक हुआ। (ix) बीपीएससी शिक्षा परीक्षा (2024) का पेपर लीक हुआ। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जिसमें बिहार के नौजवानों के भविष्य को रौंदकर उन्हें बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया गया। बिहार में राज्य की 18 से 23 वर्ष की अनुमानित जनसंख्या 1.36 करोड़ है, लेकिन इनमें से केवल 23.33 लाख छात्र अंडरग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं। अर्थात 1.13 करोड़ युवा उच्च शिक्षा से वंचित हैं।
4. स्वास्थ सेवाएं बीमार, चोरी की सरकार
कैग की रिपोर्ट में चौंकानेवाला खुलासा हुआ कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में 35% से 69% तक डॉक्टर, नर्सों और पैरोमेडिकल स्टाफ की कमी है। आयुष हॉस्पिटलों में तो यह कमी 82% है। बिहार में विशेषज्ञ डॉक्टर 86% तक कम हैं। बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के 70% पद खाली हैं, महिलाओं के विशेषज्ञ डॉक्टरों के 59% पद खाली हैं, जनरल सर्जरी के 66%, ईएनटी के 53% और चर्मरोग के 80%, तथा एनेस्थेसिया के 86% पद खाली हैं। इतना ही नहीं, अस्पतालों में 61% से 93% तक बिस्तरों की कमी है। डॉक्टर सहित चिकित्सा स्टाफ में 59,168 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से मात्र 23,851 पदों पर नियुक्ति की गई है, अर्थात 60% पद रिक्त हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर के पद 5,081 स्वीकृत हैं, जिसमें से केवल 1,580 कार्यरत हैं।
5. डरा-सहमा बिहार, गुंडाराज की सरकार
वर्ष-दर-दर वर्ष भाजपा-जेडीयू सरकार ने बिहार के चप्पे-चप्पे को अपराधियों के बीहड़ में तब्दील कर दिया (साल 2006-2022 रिपोर्ट- राष्ट्रीय क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो)। ‘अपराध कुमार’ की सत्ता की सरपरस्ती में अपराधियों के लिए हत्या, अपहरण, बलात्कार के प्रयास तो आम बात हो गई। बिहार में हर रोज 953 अपराध हो रहे हैं – जिसमें 8 हत्याएं, 33 अपहरण, 136 जघन्य अपराध, 55 महिला अपराध, 28 महिलाओं के अपहरण, दो से ज्यादा बलात्कार, 17 बच्चों के अपहरण हर रोज शामिल हैं। देखा जाए तो नीतिश सरकार आने के बाद बच्चों के अपहरण बढ़कर 15,008% अधिक हो गए, जबकि महिलाओं के अपहरण बढ़कर 1097% हो गए। हत्या के प्रयास बढ़कर 262% हो गए और जघन्य अपराध बढ़कर 206% अधिक हो गए। हत्याओं में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरे नंबर पर है। नीतीश-भाजपा सरकार के 17 सालों के शासन में 53,150 लोगों को बेहरमी से मौत की घाट उतार दिया गया। परिस्थितियाँ यह हो गई हैं कि बिहार के उद्योगपतियों को घर में घुसकर गोली मारी जा रही है।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा ने कहा कि भाजपा को लगता है कि बिहार की जनता बेवकूफ है, लेकिन बिहार की जनता अब जाग चुकी है। ये भीड़ किसी स्कूल-कॉलेज को जबरन बंद कराकर नहीं लाई गई, बल्कि जनता खुद सड़क पर उतरी है। 65 लाख वोट काटे गए और वे सब वोट दलितों, पिछड़ों, गरीबों और अल्पसंख्यकों के थे। यह सिर्फ वोट चोरी नहीं है, यह उनके हक पर सीधा डाका है। और इस गुनाह के अपराधी भाजपा-जदयू और चुनाव आयोग दोनों हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर करारा व्यंग्य करते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त साहब अब शायद ज्योतिषी भी बन गए हैं। रिवीजन से पहले ही यह भविष्यवाणी कर दी कि 20% वोट कटेंगे। अब समझ नहीं आता कि ये चुनाव अधिकारी हैं या टीवी चैनलों पर भविष्य बताने वाले बाबा। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग चुनाव कराने नहीं आया, बल्कि भाजपा की राह आसान करने और विपक्ष को रास्ते से हटाने आया है। लेकिन बिहार की जनता अब इन हथकंडों को समझ चुकी है और चुप बैठने वाली नहीं है।
संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं नेशनल मीडिया कोऑर्डिनेटर अभय दुबे, पंजाब के पूर्व विधायक रविंद्र अमला, मीडिया चेयरमैन राजेश राठौड़, चीफ मीडिया कॉर्डिनेटर संजीव सिंह, राजद के नेता शक्ति यादव एवं कांग्रेस से प्रवीण कुशवाहा मौजूद थे।