हजारों साल पुराने मंदिर में है छह फीट का शिवलिंग
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
मसौढ़ी। सावन की पहली सोमवारी पर शिवालयों मे सुबह से ही जलाभिषेक को लेकर शिवभक्तों का तांता लगा हुआ है। ऐसे मे पटना के धनरूआ स्थित बुढ़वा महादेव स्थान में छह फीट का शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण बना है। सावन माह के पहले सोमवार को शहर से लेकर गांव तक के मंदिरों में लोग जलाभिषेक कर रहे हैं। धनरूआ के बुढ़वा महादेव स्थान, रामनाथेश्वर स्थित शिवमंदिर से लेकर श्रीरामजानकी ठाकुरवाड़ी मंदिर समेत सभी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा है. लोग लाइन में लग कर बारी बारी से जल चढ़ा रहे हैं। सुबह होते ही मंदिरों की घंटी बजनी शुरू हो गई. मंदिरों में महिलाओं की भी काफी भीड़ देखी जा रही है।
वैसे तो पूरे सावन मास में भोले बाबा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, पर सावन की पहली सोमवारी भक्तों के लिए खास होती है। भक्ति रस में डूबे श्रद्धालु छह फीट के बाबा भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए व्याकुल हो उठते हैं।शहर से लेकर गांव तक ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. भोलेनाथ के सभी मंदिरों में हर-हर महादेव व बम बम भोले के नारे गूंज रहे हैं. शिवालयों में रात्रि दो बजे से ही लोग आकर खड़े हो गए. भक्तों में पहले जल चढ़ाने की होड़ सी लगी थी. वहीं कुछ शिव मंदिरो में महिलाएं जगह-जगह पर समूह बनाकर भगवान भोले की आराधना कर रही हैं। बहरहाल मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि संतान सुख की कामना और शादी विवाह में जिसे बाधा हो रही होती है।
उनकी यहां पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है और उनकी सारी बाधा दूर हो जाती है. यहां मुराद पूरी करने के लिए एक गाय के बच्चे का कान काटकर छोड़ने की पुरानी प्रथा भी है. इस मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि यह हजारों साल पुराना मंदिर है. इसका इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि खुदाई के दौरान यह 5 फीट का शिवलिंग प्राप्त हुआ था. इसमें माता गौरी और भगवान शिव की आकृति थी।
इस मंदिर के पुजारी दयाशंकर पांडे की माने तो इस मंदिर का पुराना इतिहास रहा है. इसकी खासियत यही है कि महादेव यहां खुद से निकले हैं. इसे जब मंदिर में स्थापित किया गया तो शिवलिंग का मुख पहले पूरब दिशा में था. कहा जाता है कि यहां एक श्रद्धालु आया और कहा कि आप अपनी शक्ति दिखाएं. आप पूरब से पश्चिम हो जाईये तो मैं अपनी जीभ काटकर चढ़ा दूंगा. तब से शिवलिंग का मुख पश्चिम दिशा में हो गया. इस चमत्कार को देख दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने के लिए आने लगे।