रचनाकार स्मिता की पुस्तक ‘ये आँखें पढ़ न ले कोई’ का लोकार्पण
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
रांची। झारखंड की साहित्यिक धरती पर महिलाओं की सृजनशीलता ने सदैव अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चर्चित साहित्यकार और साहित्यिक पत्रिका अनन्ता की प्रधान संपादक स्मिता के नवीनतम काव्य संग्रह ‘ये आँखें पढ़ न ले कोई’ का लोकार्पण प्रेस क्लब सभागार में संपन्न हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आधुनिक हिंदी साहित्य में महिला साहित्यकारों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है और स्मिता की लेखनी इस दिशा में एक सशक्त हस्ताक्षर है।
गौ सेवा आयोग, झारखंड के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने स्मिता की रचनात्मक यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में स्त्री-विमर्श की प्रभावशाली अभिव्यक्ति मिलती है, जो आज के समय में बेहद प्रासंगिक और प्रेरणादायक है। झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन मदन मोहन बरियार और बी.एड. कॉलेज के डीन उपेन्द्र उपाध्याय ने लेखिका को बधाई देते हुए उनकी पुस्तक को साहित्यिक दुनिया के लिए एक प्रेरणा स्रोत बताया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजश्री जयन्ती और डॉ. नीतेश मिश्र ने पुस्तक की विस्तृत साहित्यिक समीक्षा करते हुए कहा कि यह संग्रह गीत, गजल, मुक्तछंद जैसी विविध विधाओं को समेटता है और पाठकों को संवेदनाओं, जीवन-संघर्षों, प्रकृति के सौंदर्य तथा रिश्तों की गहराइयों से जोड़ता है। उन्होंने इसे समकालीन हिंदी कविता का एक अमूल्य योगदान बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत गजल गायिका शालिनी अखौरी की सरस्वती वंदना से हुई। संचालन वरिष्ठ संगीतकार पराग भूषण ने किया जबकि वरिष्ठ साहित्यकार राजीव वर्मा थेपड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ हास्य कवि नरेश बांका, वरिष्ठ पत्रकार रजत नाथ, साहित्यकार संध्या रानी, राजेश श्रीवास्तव, सुबोध कृष्ण प्रसाद, भूपेश अखौरी, मधु वर्मा और श्वेता सिन्हा सहित कई गणमान्य साहित्यप्रेमियों ने पुस्तक पर अपने विचार रखे और स्मिता की रचनाओं का पाठ भी किया।
अंत में, स्मिता ने अपनी रचनाधर्मिता, वैचारिक पृष्ठभूमि और रचना-प्रक्रिया को साझा करते हुए श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।