कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार को देख लोगों में आक्रोश व्याप्त
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
काराकाट। नगर पंचायत क्षेत्र में रात्रि सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। अधिकांश स्थानों पर कचरा फैला रहता है। नगर पंचायत गठन हुए करीब ढाई वर्ष हो गए, विशेष तौर पर लोग सफाई की व्यवस्था पर अकसर सवाल करते दिखते है। स्वच्छता को लेकर नगर पंचायत में प्रतिमाह लाखों की राशि खर्च हो रही है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। लोगों का कहना है कि रात्रि में सफाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। एनजीओ द्वारा डोर टू डोर सफाई के कार्य में केवल खानापूर्ति की जा रही है। नगरवासियों का मानना है कि सफाई की व्यवस्था भी अब लूट खसोट का शिकार हो चुकी है, जिससे आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
कहा कि नगर पंचायत क्षेत्र में भले ही आज तक विकास कार्यों का लोगों को दर्शन नहीं हुआ हो, लेकिन साफ सफाई की व्यवस्था से लोगों के मन में ये संतोष था कि हमलोग नगर पंचायत के वासी हैं। लेकिन धीरे धीरे साफ सफाई की व्यवस्था भी लूट खसोट में बदलते नजर आ रही है। सब्र की इंतेहा होने के बाद अब आम जनमानस प्रतिनिधि, पदाधिकारी व एनजीओ के कार्यशैली के विरुद्ध आवाज उठाने लगे हैं। बताया जाता है कि डोर टू डोर सफाई कार्य के नाम पर एनजीओ द्वारा सिर्फ खानापूर्ति करने, घोटाला तथा मजदूरों को निर्धारित राशि भुगतान नही करना भी एक बड़ा सवाल है। इस संबंध में यहाँ के नगरवासियों ने कार्यपालक पदाधिकारी को कई बार लिखित आवेदन दिया है।
बता दे कि काराकाट नगर पंचायत में मजदूरों का शोषण होने का आरोप लग रहा है। सूत्रों की माने तो एनजीओ द्वारा मात्र लगभग 45 मजदूरों से सफाई कार्य कराया जाता है। मजदूरी के नाम पर दैनिक करीब 297 रुपये देकर राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। फर्जी हस्ताक्षर से मास्टर रोल तैयार कर कागजात प्रस्तुत करने का भी आरोप है। जब सरकार निर्धारित राशि की मांग करती है तो मजदूरों को कार्य से हटा दिया जाता है। स्थानीय लोगों ने घोटाले की गंभीरता से जांच कराने की मांग की है। नगर के सभी सड़कों एवं गलियों की सफाई का कार्य सुबह 6 से 12 बजे और अपराह्न 4 से रात 10 बजे तक होना चाहिए। लेकिन रात में सफाई का काम कहीं भी नहीं दिखता।
पड़ताल में पाया गया कि रात के समय केवल दो सफाई कर्मी गोडारी और दो करूप में समय काटते हुए नजर आते हैं। यह केवल खानापूर्ति का मामला प्रतीत होता है। नगरपालिका नियमावली को दरकिनार करते हुए कचड़े उठाने वाले वाहनों पर जागरूकता के लिए बैनर और पोस्टर भी नहीं लगाये गए हैं। साफ सफाई हेतु जन जागरूकता अभियान भी कभी नहीं चलाया गया। सफाई कर्मियों का पीएफ कटौती होना चाहिए, लेकिन यहाँ मजदूरों के दैनिक वेतन में भी लूट खसोट की जा रही है। एनजीओ को सफाई कर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरण (PPE) यथा ड्रेस, गलब्स, मास्क, जूते, टोपी, अपरन एवं परिचय पत्र प्रदान करना अनिवार्य है, लेकिन इसके पैसे भी आपस में बांटे जा रहे हैं।
सफाई कर्मियों का पी.एफ. कटौती ई.पी.एफ.ओ. के मार्गदर्शिका के अनुसार करना अनिवार्य है। श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुसार परिश्रमिक में वृद्धि होनी चाहिए। लेकिन यहां मजदूरों के दैनिक वेतन में लूटखसोट चल रही है। लोगों ने दबे मुंह बताया कि पिछले महीने मुख्य पार्षद राधिका कुमारी और प्रतिनिधि मुन्ना भारती ने बताया कि एनजीओ को 12 लाख रुपये हर महीने मानव कल्याण फाउंडेशन को दिए जाने हैं। नगर ईओ पर मुख्य पार्षद का 20% कमीशन लेने का गंभीर आरोप भी लगा है। और बाकी 45 मजदूरों को तीन से चार लाख ही मिलते हैं। बाकी का राशि जनप्रतिनिधियों द्वारा हड़प लिया जाता है। हर महीने करीब 8 लाख रुपये आपस में बांट लिए जाते हैं। नगर पंचायत में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार को देख लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
इस संबंध में नगर पंचायत के स्वच्छता पदाधिकारी मो. मोइन ने बताया कि नगर पंचायत की सफाई को लेकर प्रत्येक माह करीब बारह लाख रुपये का भुगतान एनजीओ को किया जाता है। सफाई के लिए 45 सफाई कर्मी भी लगाये गये हैं। नगर प्रशासन द्वारा शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए भरपूर कोशिश किया जा रहा है। अगर एनजीओ द्वारा इसमें लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है तो अधिकारियों से बात कर करवाई करने की अनुसंसा किया जायेगा और नगर में जिन जगहों पर गंदगी फैली हुई है, वहां सुपरवाइजर से बात कर जल्द ही साफ-सफाई करायी जायेगी।