नवबिहार टाइम्स संवाददाता
मसौढ़ी। लोक आस्था का महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन रविवार को खरना पूजा किया गया। जहाँ छठ व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प ली। वहीं मणीचक सूर्यमंदिर छठ धाम पर खरना को लेकर सुबह से ही छठ व्रती स्नान ध्यान कर भगवान की आराधना में जुटे रहे।
रामजानकी ठाकुरवाडी मंदिर के गोपाल पांडे ने बताया की नहाय खाय के दिन एक समय भोजन करके अपने शरीर को मन को शुद्ध करना आरंभ करते हैं. जिसकी पूर्णता अगले दिन होती है. इसीलिए इसे खरना कहते हैं. इस दिन व्रती शुद्ध अंतःकरण से कुलदेवता और सूर्य एवं छठी मैया की पूजा करके गुड़ से बनी खीर का नावेद अर्पित करती हैं. देवता को चढ़ाए जाने वाली खीर को व्रती स्वयं अपने हाथों से पकाते हैं. खरना के बाद व्रती दो दिनों तक साधना में रहते हैं. 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।