नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
गया। मगध पुस्तक मेला के अंतर्गत 25 दिसंबर 2025 को आयोजित कार्यक्रम ज्ञान, साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रचेतना के प्रभावशाली समागम के रूप में सामने आए। अवकाश का दिन होने के कारण मेला परिसर में दर्शकों की रिकॉर्ड भीड़ उमड़ी। बच्चों और महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। बच्चों ने जहां रचनात्मक गतिविधियों और खेलों में उत्साह दिखाया, वहीं पुस्तक स्टॉलों से पुस्तकों की खरीदारी कर पठन संस्कृति के प्रति जागरूकता का परिचय दिया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मगध मेधा प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसके तहत विद्यालय स्तर पर नृत्य प्रतियोगिता और महाविद्यालय स्तर पर क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गई। नृत्य प्रतियोगिता में बच्चों ने अनुशासन, आत्मविश्वास और कलात्मकता से दर्शकों को प्रभावित किया। वहीं क्विज प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने समसामयिक विषयों, सामान्य ज्ञान और तार्किक प्रश्नों के माध्यम से अपनी बौद्धिक क्षमता का प्रदर्शन किया।
प्रतियोगिता का उद्देश्य बच्चों और युवाओं में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, रचनात्मकता और ज्ञान-वृद्धि को बढ़ावा देना रहा। 25 दिसंबर को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर विशेष विचार गोष्ठी और स्मरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। वक्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेई के काव्यात्मक व्यक्तित्व, लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। साथ ही पंडित मदन मोहन मालवीय के शिक्षा, सामाजिक सुधार और भारतीय सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण में योगदान को विस्तार से रेखांकित किया गया।
इसके बाद गुरु विषय पर आधारित विशेष सत्र “गुरु: ज्ञान का सागर” आयोजित हुआ। इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शिक्षकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रियंका कुमारी और रंजन कुमार को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। दोनों गैलेंट इंडिया फाउंडेशन द्वारा स्लम क्षेत्रों में वंचित बच्चों के लिए संचालित प्रगति केंद्र से सक्रिय रूप से जुड़े हैं और शिक्षा के साथ रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। संध्याकालीन सत्र में युवा कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें युवा कवियों और साहित्यकारों ने समकालीन विषयों, सामाजिक यथार्थ और संवेदनशील भावनाओं से ओतप्रोत रचनाओं का पाठ किया।
कविताओं ने श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ा और साहित्यिक वातावरण को सजीव बनाया। कुल मिलाकर मगध पुस्तक मेला का यह आयोजन साहित्य, शिक्षा, सामाजिक चेतना, राष्ट्रमूल्य और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को एक मंच पर लाने में सफल रहा। यह पहल समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाली एक प्रेरणादायी और सराहनीय कोशिश के रूप में देखी जा रही है।