नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। जिला विधिक सेवा प्राधिकार, औरंगाबाद के सचिव एवं न्यायाधीश तान्या पटेल के निर्देश पर सोमवार को दो स्थानों पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का मुख्य विषय था—‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007’ पर विधिक जागरूकता। शिविर में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार, उनके प्रति समाज और परिवार के कर्तव्य तथा कानून के तहत उपलब्ध संरक्षण पर विस्तार से जानकारी दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि यह अधिनियम बुजुर्गों के लिए सुरक्षा कवच की तरह है, जो उनके सम्मानजनक जीवन, भरण-पोषण और देखभाल की कानूनी गारंटी प्रदान करता है। पहला कार्यक्रम पेंशनर भवन, औरंगाबाद में आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता पैनल अधिवक्ता निजामुद्दीन औलिया ने की। कार्यक्रम का संचालन पारा विधिक स्वयंसेवक कुमारी ममता ने किया। उपस्थित वरिष्ठ नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों, शिकायत निवारण प्रक्रिया और जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा उपलब्ध निःशुल्क सेवाओं की जानकारी दी गई।
दूसरा शिविर सामुदायिक भवन, इटवा (हसपुरा) में आयोजित हुआ, जहां ग्रामीण स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों को जागरूक करने पर विशेष फोकस रहा। वक्ताओं ने कहा कि बुजुर्गों की देखभाल सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है। दोनों शिविरों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और बुजुर्गों के अधिकारों से जुड़े कई सवाल भी पूछे। जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी ऐसे जागरूकता शिविर लगातार आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग कानूनी जानकारी से लाभान्वित हो सकें।