नवबिहार टाइम्स संवाददाता
फुलवारी शरीफ। एम्स पटना में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन भी जारी है. अस्पताल की ओपीडी बंद है, ऑपरेशन टल रहे हैं, इमरजेंसी सेवाएं लड़खड़ा चुकी हैं और इलाज के लिए आने वाले हज़ारों मरीज हर दिन मायूस होकर लौट रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच, विवाद का केंद्र बने सत्तारूढ़ दल से जुड़े विधायक चेतन आनंद अपने स्टैंड पर अड़े हैं– “हम माफी नहीं मांगेंगे।
“एम्स पटना के निदेशक ने भी इस गतिरोध पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि मरीजों की स्थिति को लेकर वे बेहद परेशान हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों के बिना एम्स की सेवाएं अधूरी हैं और जब तक वे काम पर नहीं लौटते, अस्पताल की पूरी व्यवस्था चरमरा चुकी है. पटना के आईजी जितेंद्र राणा और सिटी एसपी पहले ही एम्स पहुंच चुके हैं. फुलवारीशरीफ थाना और जांच अधिकारी ने भी एम्स से सीसीटीवी फुटेज मांगा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
डॉक्टर जहां मुकदमा हटाने की जिद पर हैं, वहीं विधायक का रुख और भी सख्त होता जा रहा है. इस गतिरोध का कोई समाधान फिलहाल नज़र नहीं आ रहा. जब जनता का इलाज ठप है. जब बच्चे-बुज़ुर्ग तक तड़प रहे हैं. जब एक प्रतिष्ठित अस्पताल का पूरा सिस्टम हड़ताल से ठप हो गया है. तब क्या एक विधायक का अहं और डॉक्टरों की नाराज़गी जनता की जान से बड़ी हो गई है?
एम्स जैसे संस्थान में जहां देशभर से लोग इलाज के लिए आते हैं, वहां इलाज बंद है, ओपीडी ठप है, ऑपरेशन थिएटर बंद हैं, और रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर. मंगलवार को भी मरीजों की लंबी कतारें देखी गईं. लेकिन दोपहर होते-होते उन्हें यह जानकर लौटना पड़ा कि इलाज नहीं होगा. अस्पताल परिसर में एक महिला ने कहा– “मेरा बेटा ट्रामा केस में है. चार दिन से दौड़ रही हूं. कोई नहीं सुन रहा. डॉक्टर हड़ताल पर हैं. विधायक से झगड़ा हुआ है. हमें क्या मतलब? हमें तो इलाज चाहिए।”