नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
अररिया। समाज में अच्छाई-बुराई हमेशा देखने को मिलती ही रहती है, कहीं बेटे कुपुत्र हो जाते हैं, तो कहीं बेटियां कुपुत्री, कहीं तो पिता कुपिता। अब तो माता भी कुमाता देखने को मिल रही है। वास्तव में इसके लिए विभिन्न तरह के सोशल मीडिया और संस्कारहीन समाज दोषी है। ऐसे में अपने परिवार के साथ समय बिताने से, एक दूसरे को समझने से एक मजबूत परिवार की नींव बनती है। इससे हमारा समाज बेहतर होगा जो अन्ततः हमारा मजबूत राष्ट्र की भी निर्माण करेगी।
जहां मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनायी जाती है, तो वहीं जून के तीसरे रविवार को पितृ दिवस भी। ऐसे में रविवार को पितृ दिवस के इस पावन दिन को जिले के प्रसिद्ध युवा लेखक राजीव रंजन विश्वास व उनके पूरे परिवार बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। पिता सच्चिदानन्द विश्वास व माता इंदुला देवी ने साथ मिलकर केक काटे। इस अवसर पर उनके बड़े भाई प्रभात विश्वास व भाभी सरिता कुमारी पूरे परिवार मौजूद थे।
इस दौरान लेखक ने अपने भावनाओं के जरिए सन्देश देते हुए कहा कि माता-पिता के लिए कोई एक दिन नहीं हो सकता, उनका तो हर दिन होनी चाहिए। लेकिन, अपने कार्यों, जीवन कर्त्तव्यों की व्यस्तता में हम अक्सर आपस में खुशियां और प्यार बांटने से चूक जाते हैं। माता-पिता से सिर्फ हमे जन्म ही नहीं मिलती, बल्कि उनके संस्कार, उनके उच्चादर्शों, उनके ध्येय भी हमें विरासत में अनुवांशिक के रूप में मिलती है।
माता जहां हमे गर्भावस्था से महफूज रखते हुए जीवन को सँवारती है तो वही पिता एक-एक दिन बुनकर बच्चों को भीतरी, बाहरी दोनों तरह से मजबूत बनाकर हमेशा विजयी रथ पर बैठाने को अथक प्रयास करते रहते हैं। लेखक ने आगे कहा कि सभी बच्चों का कर्त्तव्य है कि वे अपने माता-पिता का सेवा करें और समाज में अपनी मिशाल प्रस्तुत करें। ताकि वृद्धावस्था में कोई माँ-बाप को दर-दर न भटकना पड़े। सभ्य समाज का निर्माण करना हम सबकी जिम्मेवारी है। इसलिए पिता का सिर्फ फादर्स डे पर ही नहीं बल्कि हर क्षण उनका सम्मान करें।