नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
पटना। सहकारिता विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों के कुल 146 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को ई-पैक्स घोषित किया है। इसके साथ ही अब बिहार में ई-पैक्सों की संख्या बढ़कर 1992 हो गई है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण योजना के तहत प्रथम चरण में राज्य की कुल 4477 पैक्सों का चयन ई-पैक्स घोषित करने के लिए किया गया है और अगले चरण में सभी पंचायत क्षेत्रों की पैक्सों को कम्प्यूटरीकृत करने की दिशा में काम जारी है।
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने इसे सहकारिता आंदोलन के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि बिहार सरकार पैक्सों को पारदर्शी, जवाबदेह और आधुनिक बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कम्प्यूटरीकरण से न केवल किसानों को त्वरित सेवाएं मिलेंगी बल्कि सहकारी संस्थाओं की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सभी पैक्सों को ई-पैक्स में परिवर्तित कर दिया जाएगा जिससे सहकारिता आंदोलन को नई दिशा मिलेगी।
ई-पैक्स घोषित 1992 समितियों में अब सभी व्यापारिक लेन-देन, खातों, बहियों, पंजियों और वित्तीय विवरणों का संधारण डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है। इसके लिए पैक्स प्रबंधक के साथ संबंधित पैक्स क्षेत्र के कार्यपालक सहायक और सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को प्रतिदिन ईआरपी सॉफ्टवेयर पर डे ओपन और डे एंड की जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में 1992 ई-पैक्सों में से 1065 में दैनिक डायनेमिक डे एंड किया जा रहा है और शेष ई-पैक्सों को भी इस प्रक्रिया से जोड़े जाने का निर्देश दिया गया है।
इन ई-पैक्सों का वार्षिक और वैधानिक अंकेक्षण भी अब केंद्रीय प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत ई-पैक्स सॉफ्टवेयर पर डिजिटल रूप से किया जाएगा। पैक्स कम्प्यूटरीकरण से समितियों के कार्यों में सुगमता और पारदर्शिता आई है। इससे रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था आसान हुई है और अनियमितताओं एवं धोखाधड़ी पर प्रभावी रोक लगी है। किसानों के रिकॉर्ड, ऋण संबंधी विवरण और अन्य वित्तीय आंकड़े अब डिजिटल रूप में सुरक्षित किए जा रहे हैं। इस पहल से पैक्स अन्य सहकारी समितियों और सरकारी विभागों से सीधे जुड़ पा रहे हैं।
कम्प्यूटरीकरण ने वित्तीय समावेशन को भी नई गति दी है। अब किसानों के बैंक खातों में सीधे धन अंतरण की सुविधा उपलब्ध है। पैक्सों के कार्यकलापों की निगरानी और उनकी प्रगति का आकलन सरल हुआ है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिला है। बिहार में पैक्स कम्प्यूटरीकरण ने न केवल किसानों और मजदूरों को विभिन्न प्रकार के लाभ उपलब्ध कराए हैं बल्कि सहकारिता की जड़ों को भी और मजबूत किया है। इस योजना से राज्य में ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।