महिला विकास मंच ने वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को अनोखे अंदाज में किया याद
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
पटना। महिला विकास मंच द्वारा शहर में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस अनोखे अंदाज में मनाया गया। प्रदेशभर से जुटे सैकड़ों कार्यकर्ताओं संग रानी लक्ष्मीबाई जी के तरह ही उनके पारंपरिक परिधान में जुलूस निकाल कर उनको याद किया। अचानक से पटना की सड़को पर घोड़े व बाइक पर सवार सैकड़ों महिलाओं एक साथ देख आमआदमी भी अचंभित दिखें। पारंपरिक परिधान में हाथ मे तलवार लिए तमाम महिलाएं उत्साह से लबालब दिख रही थी। सशस्त्र, पारंपरिक परिधान में देशभक्ति संदेशों के साथ आयोजित की गई। इस जुलूस का उद्देश्य समाज में महिला जागरूकता, स्वाभिमान और राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करना व बढ़ावा देना है।
एस पी वर्मा रोड गोलंबर से निकलकर ये जुलूस डाकबंगला चौराहा होते हुए इनकम टैक्स गोलंबर, आर ब्लॉक, अटल पथ, मरीन ड्राइव, गांधी मैदान, फ्रेजर रोड होते हुए महिला विकास मंच कार्यालय (पवनपुत्र कार्यालय, दूरदर्शन गेट के सामने, फ्रेजर रोड, पटना) पर समाप्त हुआ। जुलूस जब बीजेपी कार्यालय के सामने से गुजर रहा था तब इसकी भनक पाते ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल तुरंत अपने कार्यालय से बाहर आये व श्रद्धापूर्वक रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर माल्यार्पण किया व महिला विकास मंच के इस कार्यक्रम की खूब सराहना की। जेडीयू कार्यालय से निकल कर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर माल्यार्पण पर श्रद्धा सुमन अर्पित की व महिला विकास मंच को कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाएँ दी।
महिला विकास मंच की संयोजिका वीणा मानवी ने मीडिया संबोधन में कहा आज हम वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जी को याद कर रहे हैं इनका जीवन हमसभी के लिए प्रेरणास्रोत है। श्रीमती मानवी ने रानी लक्ष्मीबाई जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। 27 फरवरी 1854 को लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी। झांसी की रानी ने पैंशन अस्वीकृत कर दी व नगर के राजमहल में निवास करने लगीं। अंग्रेजों की राज्य लिप्सा की नीति से उत्तरी भारत के नवाब और राजे-महाराजे असंतुष्ट हो गए और सभी में विद्रोह की आग भभक उठी। 23 मार्च 1858 को झांसी का ऐतिहासिक युद्ध आरंभ हुआ। रानी लक्ष्मीबाई ने सात दिन तक वीरतापूर्वक झांसी की सुरक्षा की और अपनी छोटी-सी सशस्त्र सेना से अंग्रेजों का बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। 18 जून 1858 को ग्वालियर का अंतिम युद्ध हुआ और अंतत: उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
उक्त कार्यक्रम में बीजेपी नेत्री सरोज जायसवाल एवम माला सिन्हा सहित पटना महानगर टीम की अगुआई रानी जायसवाल,वैशाली से आई टीम की अगुआई पूर्णा सिंह,सोना सविता, झारखंड से आई हुई टीम की अगुआनी स्नेहा दास,उत्तर प्रदेश से आयी हुई टीम ही अगुआनी मधु यादव व मधुबनी से आई हुई टीम की अगुआनी जिलाध्यक्ष दीपसिखा सिंह द्वारा की गई।