बिहार के श्रम संसाधन मंत्री ने राष्ट्रीय स्तर पर उठायी बिहार के श्रमिकों के हितों की आवाज
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
पटना। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय (29-30 जनवरी) कार्यशाला में शामिल होते हुए बिहार के श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने वन नेशन वन लेबर कार्ड बनाने की मांग उठाई है। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर किसी भी राज्य के श्रमिकों कि पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा संरक्षित रहेगी, जिसकी जरूरत काफी शिद्दत से महसूस की जा रही है। बिहार जैसे प्रदेश के श्रमिकों के लिए यह नीति ज्यादा फायदेमंद होगी जो दूसरे प्रदेशों में जाकर कार्य करते हैं।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों एवं श्रम सचिवों की दो दिवसीय बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार के श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह शामिल हुए। इस कार्यशाला में उनके साथ विभाग के सचिव दीपक आनन्द उपस्थित रहे. बैठक का उद्देश्य देश श्रम के भविष्य की कार्ययोजना तैयार करना, श्रम सुधारों, ई-श्रम, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों (BoCW) के कल्याण, रोजगार सृजन तथा कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) अस्पतालों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करना एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करना था।
इस दौरान मंत्री संतोष कुमार सिंह के द्वारा बिहार में श्रमिकों के बीच किये जा रहे कार्यों के अनुभवों को साझा किया गया और विभाग द्वारा चल रहे जनोपयोगी योजनाओं की चर्चा की गयी. कार्यशाला के दौरान मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बिहार में श्रमिकों के जन्म से लेकर मृत्यु तक की कुल 16 तरह की योजनाओं के लाभ की चर्चा की और बताया कि बिहार का श्रमिक जब दूसरे प्रदेश में जाता है तो उसके श्रम के सेस से दूसरे राज्य का विकास तो होता है, लेकिन उस श्रमिक का हक मारा जाता है। वन नेशन वन कार्ड लागू नहीं होने से उनको उस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है जैसा उनको अपने प्रदेश में खासकर मिलता है। इसलिए आज समय की जरूरत है कि पूरे देश में वन लेबर कार्ड की पॉलिसी को लागू किया जाए, ताकि कोई भी श्रमिक जब दूसरे प्रदेश में जाता है तो उसको श्रम कानून के तहत मिले अधिकार से वंचित न होना पड़े। ऐसा होने पर संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के दोनों तरह के मजदूरों को लाभ मिलेगा।
श्रम मंत्री द्वारा उठाए गए इस मांग को अन्य प्रदेश के श्रम मंत्रियों ने भी समर्थन किया। केंद्रीय श्रम तथा रोजगार मंत्री डॉ मनसुख मांडवीया ने आश्वासन दिया कि भारत सरकार इस पर विचार करेगी। श्रम मंत्री ने बताया कि यदि वन नेशन वन लेबर कार्ड की पॉलिसी लागू हो जाती है तो बिहार के श्रमिक किसी भी प्रदेश में जाकर काम करने के दौरान अपने प्रदेश की तर्ज पर सभी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
कार्यशाला में मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बताया कि बिहार से बडी संख्या में निर्माण कामगार अन्य राज्यों विशेषकर देश के आर्थिक रूप से सम्पन्न राज्यों (पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि) के निर्माण परियोजनाओं में कार्यरत है। इन राज्यो के आर्थिक तरक्की में बिहारी प्रवासी कामगारों के सहयोग को नकारा नहीं जा सकता। प्रवसन वाले राज्यों में बिहारी कामगारों का निबंधन उस राज्य के कर्मकार कल्याण बोर्ड में नहीं किया जाता है ना ही किसी प्रकार की समाजिक सुरक्षा से आच्छादित किया जाता है। प्रवासी कामगार उन राज्यों के आधारभूत संरचना के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद उन राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रह जाते है।
इसको लेकर मंत्री ने केंद्र सरकार को जरुरी सुझाव भी दिए और कहा कि देशभर के निबंधित निर्माण कामगारों के डाटा को संधारित करने हेतु PAN India Portal का निर्माण किया जा सकता है। इस पोर्टल पर देश के सभी निर्माण कामगार बोर्ड में निबंधित निर्माण श्रमिकों का डाटा राज्यों के प्रयोजनार्थ उपलब्ध रहे। राज्यों द्वारा इस डाटा का उपयोग लाभुकों के सत्यापन के लिए किया जा सकता है। देश के विभिन्न राज्यों में निर्माण कामगारों के लिए अलग-अलग प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। आवश्यक है कि प्रवासी निर्माण कामगारों को समाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने हेतु Portability of Schemes पर विचार किया जाय। वर्तमान में अलग-अलग राज्यों के योजनाओं में अहर्ताएं एवं अनुदान राशि में भिन्नता है। Portability of Schemes हेतु योजनाओं के अहर्ता एवं अनुदान राशि में समान्यता की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा-शर्ते विनियमन) अधिनियम, 1996 की धारा 22(ag) के अन्तर्गत योजनाओं एवं उनसे संबंधित अहर्ताएं इत्यादि का सुत्रण कर सभी राज्यों के बीच इन योजनाओं को क्रियान्वित करने हेतु निदेशित (धारा-60) कर सकती है। अवगत हुआ जा सकता है कि अधिनियम की धारा-22(a-g) के अन्तर्गत बोर्ड के क्रियाकलाप यथा दुर्घटना अनुदान, पेंशन, गृह निर्माण हेतु ऋण एवं अग्रिम, ग्रुप बीमा, बच्चों पढाई हेतु आर्थिक सहयोग, चिकित्सा सहयोग एवं मातृत्व लाभ का उल्लेख है। यह सभी योजनाओं के अन्तर्गत प्राप्त होने वाले लाभ में एकरूपता रहे तथा सभी निर्माण कामगारों को बिना किसी भेद-भाव के इन योजनाओं से आच्छादित किया जाय। ऐसा किये जाने से बिहार सहित देश के कई राज्यों के प्रवासी निर्माण कामगारों को विभिन्न समाजिक सुरक्षा योजनाओं से आच्छादित किया जा सकेगा।
राज्य सरकारों को अधिनियम की धारा-22(h) के अन्तर्गत कल्याणकारी योजनाओं के सुत्रण का दायित्व रहे तथा राज्य चाहे तो अपने राज्यों के अधिवासी (Domicile) कामगारों के लिए विशेष प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का सुत्रण कर सकते है।