नवबिहार टाइम्स संवाददाता
नारदीगंज (नवादा)। प्रखंड में अभी तक पैक्स अध्यक्षों के माध्यम से धान की खरीद शुरु नहीं हुई है जबकि 26 दिन बीत गये हैं। 15 नवम्बर से धान की अधिप्राप्ति करना था लेकिन धान की खरीदारी नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ी हुई है। किसानों का कहना है कि पैक्स में धान की खरीदारी लंबे समय बीत जाने के बाद भी नहीं शुरु होना परेशानी का सबब बन गया है। घर व खलिहान में धान रखा हुआ है। उसकी रखवाली कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। इस ठंड में रतजगा कर सुरक्षा में लगे हुए हैं।
सुरक्षा के अभाव में कई किसानों का धान खलिहान से गायब हो रहे हैं। खुले बाजार में सरकारी दर से कम कीमत मिल रहा। पैक्स में धान की खरीदारी होती तो किसानों के हित में अच्छा होता। वैसे विवशता वश किसान खुले बाजार में बिक्री कर रहे हैं। जिससे किसान को काफी घाटा हो रहा है। किसान आर्थिक मार झेलने को विवश है।
इस बाबत पचेया निवासी किसान विकास कुमार सिंह, हरनारायणपुर निवासी किसान श्रवण कुमार कुशवाहा, नंदपुर निवासी किसान रविन्द्र सिंह, सहजपूरा निवासी नवीन कुमार सिंह, दरियापार निवासी अनिल सिंह, प्रवीण कुमार समेत अन्य किसान कहते हैं कि अभी तक नारदीगंज प्रखंड में अभी तक पैक्स अध्यक्षों के माध्यम से धान खरीदारी नहीं होने से परेशानी बढ़ी हुई है। किसान कहते हैं कि घर खलिहान से धान पैक्स गोदाम तक पहुंचाने में काफी परेशानी है। एक बोरा धान को पैक्स गोदाम तक पहुंचाने में तकरीबन 134 रुपये खर्च होते हैं।
कहा गया एक जुट के बोरा की कीमत 25 रुपये, वजन व सिलाई में 20 रुपये, ट्रैक्टर चढ़ाने व उतारने में 10 रुपये, प्रति बोरा परिवहन व्यय 10 रुपये के अलावा एक बोरा में (नमी के वजह से) तीन किलो धान अलग से देना है। जिसका कीमत 69 रुपये होंगे। कुल मिलाकर खलिहान से पैक्स गोदाम तक प्रति बोरा खर्च 134 रुपये आ रहे हैं। एक बोरा में धान की माप 45 किलो की मानी जाती है, जबकि उस बोरे में 48 किलो धान रहता है। जबकि एक एक किंवटल धान एक बोरा से अधिक में रखा जाता है। और विभाग के माध्यम से एक किंवटल धान रखने के लिए बोरा की कीमत 25 रुपये मिलते हैं।इसके अलावा अन्य खर्च नहीं मिलता है।
पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि अभी तक मिल ट्रैकिंग नहीं हुआ है। इसके अलावा बैंक का एग्रीमेंट होना बाकी रह गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, उसके बाद किसानों से धान की अधिप्राप्ति शुरु कर दिया जाएगा। इस बाबत बीसीओ दीपक सक्सेना से मोबाइल नंबर पर सम्पर्क किया तो उन्होंने मोबाइल काल रिसीव नहीं करने के वजह से उनका पक्ष नहीं रखा जा सका है।