नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
जहानाबाद। जहां चाह, वहां राह इस कहावत को चरितार्थ किया है, जहानाबाद जिले के हुलासगंज प्रखंड क्षेत्र के वलीपुर गांव के अंतर्गत दुर्गापुर टोले के 80 वर्षीय बुजुर्ग महावीर मोची ने। स्वभाव से मिलनसार महावीर लगातार 8 घंटे तक हैंड पंप चला कर धरती के सीने से बूंद बूंद पानी को बाहर निकाल कर आलू की सिंचाई के लिए प्रयोग में लाते हैं। इस बुजुर्ग के हौसले के आगे युवा भी पस्त हो जाए। गांव वाले बताते हैं कि लगातार पिछले कुछ वर्षों से आलू फसल में चार से पांच बार पटवन हैंडपंप चला कर यह बुजुर्ग कर रहा है।
महावीर मोची से यह पूछे जाने पर कि सिंचाई के लिए पंपसेट या मोटर का प्रयोग वह क्यों नहीं करते हैं? इस पर आर्थिक और संसाधन की लाचारी जताते हुए वे बताते हैं कि खेतों में सिंचाई के लिए उनके पास पैसा नहीं होता है। साथ ही दूर से पानी को लाने के लिए डिलिवरी पाइप भी खरीदना पड़ेगा जो उनके औकात से बाहर है। लिहाजा प्रतिदिन हैंडपंप हाथों से चलाकर बूंद बूंद पानी से आलू के फसल के क्यारी में पानी पहुंचाने का जद्दोजेहत ये करते हैं। बुजुर्ग आगे बताते हैं कि उनके पास अपना कोई खेत नहीं है लेकिन घर के आगे परित खेत को पिछले कुछ वर्षों से वह जोत आबाद कर रहे हैं और पटवन के लिए इसी हैंडपंप का सहारा लिया जाता है।
अभी हाल में ही घर में आग लगने से बुजुर्ग महावीर मोची का घर पूरी तरह जलकर खाक हो गया था। इसके बावजूद भी अपने उसी दिनचर्या और हौसले से खेत को खून पसीने से सिंचित करने में यह जुटे हुए हैं। घर के लोग धान काटने या मजदूरी करने बाहर निकल जाते हैं तब उनकी जिम्मेवारी अपने बाहुबल से आलू के फसल को पटाने की होती है। इस दौरान घर के देखभाल की जिम्मेवारी इनके कंधों पर होती है। बताते हैं की चार कट्ठे में इन्होंने इस बार आलू का फसल लगाया है। एक पटवन देने में लगभग 10 दिन उनको लगातार हैंडपंप चलाना पड़ता है और दिन भर के परिश्रम के बाद एक डिसमिल से भी कम जमीन वह सिंचित कर पाते हैं। लेकिन इस बुजुर्ग के साहस और हौसले को देखकर लोग दंग रह जाते हैं।