नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
पटना। चिकित्सा क्षेत्र में बिहार ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। पटना स्थित पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में राज्य का पहला प्रीएम्प्टिव किडनी ट्रांसप्लांट सफलता पूर्वक किया गया, जिसमें मरीज को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी। इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन में औरंगाबाद जिले के दाउदनगर निवासी प्रख्यात यूरोलॉजिस्ट डॉ. विकास कुमार की विशेष भूमिका रही। पश्चिम चंपारण निवासी 45 वर्षीय सत्येंद्र प्रसाद सिंह की दोनों किडनी धीरे-धीरे खराब हो रही थीं। क्रेटिनिन का स्तर लगातार बढ़ रहा था, जिससे उन्हें भूख कम लगना, थकान, सांस फूलना और पैरों में सूजन जैसी गंभीर समस्याएं हो रही थीं। इस स्थिति में पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में प्रीएम्प्टिव ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया।
डॉ. शशि कुमार, निदेशक एवं एचओडी, नेफ्रोसाइंसेज एंड रीनल ट्रांसप्लांट, ने बताया कि प्रीएम्प्टिव ट्रांसप्लांट का अर्थ है — ऐसी स्थिति में ट्रांसप्लांट करना जब मरीज अभी डायलिसिस पर नहीं गया हो। इससे रिकवरी तेज होती है और जीवन गुणवत्ता बेहतर होती है। आमतौर पर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को 10–12 दिन अस्पताल में रखना पड़ता है, लेकिन सत्येंद्र सिंह को महज सात दिनों में छुट्टी दे दी गई। डोनर को केवल तीन दिनों में डिस्चार्ज कर दिया गया। इस पूरे जटिल ट्रांसप्लांट की सफलता में डॉ. विकास कुमार की भूमिका निर्णायक रही। वे यूरोलॉजी विभाग से जुड़े वरिष्ठ चिकित्सक हैं और सर्जिकल प्रक्रियाओं में उनकी विशेषज्ञता ने इस ट्रांसप्लांट को और अधिक प्रभावी बनाया। वे हर रविवार को शिव मंदिर, चुड़ी बाजार, दाउदनगर में नि:शुल्क सेवा देकर क्षेत्रीय मरीजों को भी लाभान्वित करते हैं।
डॉ. शशि कुमार और डॉ. विकास कुमार के नेतृत्व में की गई इस चिकित्सा उपलब्धि को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने “बिहार के चिकित्सा इतिहास में मील का पत्थर” बताया है।