कुलपति ने दिया संदेश– शिक्षा के साथ सामाजिक जागरूकता भी जरूरी
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
बोधगया। मगध विश्वविद्यालय के प्रबंधन एवं गृह विज्ञान विभाग द्वारा “दिव्यांगता अभिशाप नहीं है एवं अंगदान का महत्त्व” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. शाही ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षा प्रदान करना नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ावा देना है। उन्होंने दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने और अंगदान की संस्कृति को प्रोत्साहित करने को विश्वविद्यालय की नैतिक जिम्मेदारी बताया।
कुलपति प्रो. शाही ने कहा कि समाज में दिव्यांगजनों को समान अवसर और गरिमा मिले, इसके लिए हमें अपनी सोच बदलनी होगी। दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि आत्मबल को जागृत करने का अवसर है। उन्होंने शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिव्यांगजनों के लिए ठोस नीतियाँ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने अंगदान को ‘महादान’ बताते हुए कहा कि इससे कई जरूरतमंदों को नया जीवन मिल सकता है। विश्वविद्यालय ऐसे विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करता रहेगा। इस अवसर पर पद्मश्री बिमल जैन ने कहा कि दिव्यांगजनों को सहानुभूति की नहीं, बल्कि समान अवसरों की जरूरत है। उन्होंने अंगदान को मानवता की सबसे बड़ी सेवा बताते हुए सभी को इसके लिए प्रेरित किया। सुनील आनंद ने भी समाज में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और अंगदान की महत्ता पर विचार साझा किए।
कार्यक्रम का सफल समन्वय डॉ. गोपाल सिंह, निदेशक प्रबंधन विभाग तथा आयोजन सचिव डॉ. दीपशिखा पांडेय, इंचार्ज गृह विज्ञान विभाग ने किया। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। अंत में आइक्यूएसी समन्वयक प्रो. मुकेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना और दिव्यांगजनों के प्रति सोच को बदलना है।