नवबिहार टाइम्स संवाददाता
औरंगाबाद। दीपावली में ग्रामीण महिलाओं का साहसिक कदम न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित कर रहा है। शहर के गायत्री नगर मुहल्ले और खरकनी पंचायत के पिपरा गांव में सुमन देवी, अनीता देवी, सोनी देवी, प्रमिला देवी प्रशिक्षक प्रशांत ओझा एवं सह प्रशिक्षक लक्ष्मी मिश्रा के मार्गदर्शन में देशी गाय के गोबर से इको-फ्रेंडली तथा प्राकृतिक उत्पाद बना रही हैं। इन महिलाओं द्वारा बनाई गई मूर्तियां, दीये, धूप, श्री, ॐ, स्वास्तिक, दीवार हैंगिंग और तोरण जैसे उत्पाद न केवल घरों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाते हैं।
“संस्था देवराजे ऑर्गेनाइजेशन फॉर सोशल सर्विसेज” के अंतर्गत ये महिलाएं गोबर से बने उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। इनके प्रयासों से न केवल महिलाओं को प्रेरणा मिल रही है, बल्कि उनके परिवारों की आय में भी वृद्धि हो रही है। पेंटिंग के कार्य में सानिया कुमारी, खुशी कुमारी, उत्कर्ष ओझा और अन्य युवा प्रतिभाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
शास्त्रों के अनुसार, “गोमय वसते लक्ष्मी” यानी गोबर में लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए, इस दीपावली वोकल फोर लोकल बनकर महिलाओं द्वारा बनाए गए प्राकृतिक उत्पादों से त्योहार मनाएं और अपने घर में समृद्धि व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें। गोबर के दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है, और बाद में इन्हें जल में विसर्जित करने पर यह मछलियों के लिए भोजन एवं मिट्टी के लिए उर्वरक बनते हैं। प्रशिक्षक प्रशांत ओझा ने बताया कि देशभर में इन उत्पादों की मांग बढ़ रही है और हमने सफलतापूर्वक बेंगलुरु, दिल्ली, नोएडा, धनबाद, रांची, औरंगाबाद, डाल्टनगंज, गढ़वा और सासाराम जैसे शहरों में विभिन्न संस्थाओं एवं व्यक्तिगत ऑर्डर डिलीवरी की है।