शैक्षिक भ्रमण से हमारी सोच होती है विकसित
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
देव। औरंगाबाद जिले के देव में स्थित श्रेयस पब्लिक स्कूल के षष्ठम् वर्ग से दशम् वर्ग तक के छात्र-छात्राओं को समग्र शिक्षा अभियान के तहत चार दिनों का शैक्षिक भ्रमण कराया गया। शैक्षिक भ्रमण के तहत झारखंड दर्शन के क्रम मे भद्रकाली मंदिर इटखोरी, हुन्डरू जलप्रपात रांची, जोन्हा जलप्रपात रांची, पहाड़ी मंदिर रांची, भगवान बिरसा मुंडा चिड़िया घर ओरमांझी, मछली घर, सांपघर, रजरप्पा मंदिर, पतरातू घाटी, पतरातू डैम आदि सुन्दर आकर्षक एवं धार्मिक दृष्टि से महत्पूर्ण स्थलों का भ्रमण कराया गया। बच्चों एवं शिक्षकों ने उपरोक्त स्थानों की खूबसूरती, उसका इतिहास, हमारी पौराणिक एवं नूतन संस्कृति, हमारा भौगोलिक वातावरण, वहाँ की संस्कृति, वहाँ का रहन-सहन एवं विभिन्न गतिविधियों को बारीकियों से जाना।
विद्यालय के निर्देशक अविनाश कुमार चौरसिया ने बताया कि शैक्षिक भ्रमण पर बच्चों को ले जाया जाना अत्यंत आवश्यक है।इससे बच्चे अलग-अलग सभ्यता, संस्कृति, प्रकृति, भूगोल, विज्ञान आदि को व्यक्तिगत रूप से समझते हैं। उन्होंने बताया कि शैक्षिक भ्रमण से हमारी सोच विकसित होती है। इस कार्य के द्वारा हमारे मन मे मानवता के प्रति सहानुभूति जागृत होती है। उन्होंने कहा कि यह कार्य तभी सम्भव हो पाया जब हमारे सभी स्टाफ का सहयोग प्राप्त हुआ। इस भ्रमण मे मुख्य सहयोग आलोक कुमार, दिनेश पांडेय, अक्षय कुमार, राजीव कुमार, चन्द्रशेखर भारतीय, नीतीश कुमार, मनीष कुमार, करण राज, रणधीर कुमार, अजित सत्यार्थी, धीरज कुमार, उत्तम कुमार, पप्पू कुमार, त्रिलोकी गोप, नीशू कुमारी, खुशबू प्रवीण, पुनीता कुमारी, चाँदनी प्रवीण आदि से प्राप्त हुआ।
शैक्षिक भ्रमण पर जाने वाले कुछ बच्चों ने बताया कि मैं कुछ सुनता हूँ तो भूल जाता हूं लेकिन जो देखता हूं याद रहता है। अतः शैक्षिक भ्रमण पर जाकर बहुत सारी बातों को हमलोगों ने अपनी स्मृति मे रख लिया जो पढ़कर रखना संभव नही था। बच्चों ने बताया कि अपने शिक्षकों और सहपाठियों के साथ शैक्षिक भ्रमण का अनुभव सुखद तथा यादगार रहा और अपने स्कूल और विद्यालय के सभी स्टाफ को बहुत धन्यावाद किया और कहा कि सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के कारण ही हमलोग झारखंड के साँस्कृतिक, धार्मिक एवं भौगोलिक परिस्थितियों को समझ पायें। बच्चों ने बताया हमारे विद्यालय का यह प्रयास अति सराहनीय है। विद्यालय द्वारा किए जाने वाले इस शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम के तहत हमलोग प्रतिवर्ष अलग-अलग स्थानों की सभ्यताओं को समझ पाते हैं।