नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। औरंगाबाद शहर के कर्मा रोड स्थित चित्रगुप्त सभागार सह लोकनायक जयप्रकाश नारायण सांस्कृतिक भवन में रविवार को श्री श्री चित्रगुप्त पूजा महोत्सव 2024 धूमधाम से मनाया जाएगा। इस महोत्सव की तैयारी पूरे जोर-शोर से की जा रही है और इसमें जिले भर से कायस्थ परिवार समेत समाज के अन्य वर्गों के लोग शामिल होंगे। इस महोत्सव का आयोजन जी. के. सी. (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) औरंगाबाद के द्वारा किया जा रहा है।
ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के अध्यक्ष कमल किशोर ने बताया कि चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत रविवार को सुबह 11 बजे से होगी। इसके बाद दोपहर में 1 बजे से प्रसाद वितरण किया जाएगा। संध्या 6 बजे से महाआरती, संध्या 7:30 बजे से प्रीतिभोज का आयोजन किया गया है। वहीं 4 नवंबर को दोपहर 3 बजे से मूर्ति विसर्जन की तैयारी की जाएगी। महाआरती में पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, विधायक आनंद शंकर, विधान पार्षद दिलीप कुमार सिंह, नगर परिषद के अध्यक्ष उदय कुमार गुप्ता, जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष सतीश कुमार सिंह समेत जिले के कई गणमान्य नागरिक, समाजसेवी भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि इस महोत्सव को सफल बनाने में जीकेसी के अजय श्रीवास्तव, अजय वर्मा, ई. बी. के. श्रीवास्तव, डॉ अनिल कुमार सिन्हा, डॉ शीला वर्मा, श्रीराम अम्बष्ट, महेंद्र प्रसाद, मधुसूदन प्रसाद सिन्हा, राजू रंजन सिन्हा, राजेश सिन्हा, सूर्यकांत, दीपक बलजोरी, सुनील सिन्हा, गणेश प्रसाद लाल बाबू, उदय कुमार सिन्हा, अमित कुमार, संजय सिन्हा आदि चित्रांश लगे हुए हैं। सभी के सहयोग से ही हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यह कार्यक्रम सफल होगा।
विदित हो कि कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ परिवार के लोग धूमधाम के साथ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है। चित्रगुप्त कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त को कलम का देवता माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संतान हैं। वह ज्ञान के देवता हैं। भगवान चित्रगुप्त को यमराज का सहायक देव माना जाता है। यमलोक के राजा यमराज को कर्मों के आधार पर जीव को दंड या मुक्ति देने में कोई समस्या न हो, इसलिए चित्रगुप्त भगवान हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा लिखकर, यमदेव के कायों में सहायत प्रदान करते हैं। चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मदेव के अंश से न होकर संपूर्ण काया से हुआ था इसलिए चित्रगुप्त जी को कायस्थ कहा गया।
कायस्थ पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही कलम और बही-खाते की भी पूजा करते हैं क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को प्रिय हैं। इसके साथ ही अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित की जाती है। एक प्लेन पेपर पर अपनी इच्छा लिखकर पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के चरणों में अर्पित करते हैं। चित्रगुप्त पूजा की रस्में मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा निभाई जाती हैं और पूरा परिवार साथ में पूजन करता है। इस दिन परिवार के लोग कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते।