टेम्पल ऑफ हीलिंग ने दाखिल की थी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
नई दिल्ली। देश में हिन्दू दत्तक ग्रहण कानून के नियमों को समझने और समझाने में सम्बंधित तंत्र की हीलाहवाली से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल रही, पर अब इस प्रक्रिया में सरलता आ रही है। इस सम्बन्ध में एक प्रमुख सामाजिक संगठन टेम्पल आफ हीलिंग के प्रतिनिधि डा.पीयूष सक्सेना ने पत्रकारों को बताया कि भारत में गोद लेने की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2021 में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसे उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान में लिया और 12 से अधिक सुनवाइयों के बाद उसके आदेशों से कठिन राह आसान हुई। इसी क्रम में कोर्ट ने देश के सभी 760 जिलों में दत्तक ग्रहण एजेंसियां नियुक्त करने को कहा।
उन्होंने बताया कि सख़्त क़ानून होने के बावजूद अमेरिका में हर साल एक लाख 35 हजार बच्चे गोद लिये जाते हैं, जबकि भारत मे उलझी हुई प्रक्रिया के कारण बमुश्किल प्रति वर्ष चार हजार। देश में 3.1 करोड़ बच्चे अनाथ हैं, वहीं ढाई करोड़ से भी बहुत ज्यादा दंपतियां संतान सुख के लिए तरसती हैं। हर बच्चे का अधिकार है कि उसे परिवार मिले। हमारी याचिका इन दोनों के बीच सेतु बनी। यह कदम उन लाखों अनाथ बच्चों और संतान सुख से वंचित दंपतियों के लिए आशा की किरण बना, जो एक बेहतर भविष्य की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कई राज्यों ने अपनी गोद लेने की नीतियों पर पुनर्विचार भी शुरू कर दिया है। इसी वर्ष 20 अगस्त से अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या कानूनी रूप से अलग रह रहे 35 से 60 साल की उम्र के अकेले लोगों को भी बच्चे को गोद लेने की अनुमति दे दी गयी है। उन्होंने कहा कि आगे उनका संगठन अविवाहित, एलजीबीटी और अन्य समुदायों को भेदभाव मुक्त गोद लेने का अधिकार सुनिश्चित करने पर काम करेगा। गोद लेना केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है।
इस मौके पर अनाथ से स्वनाथ के इच्छुक दंपतियों की मददगार देश की शीर्षरथ संस्था नई उड़ान ट्रस्ट (नट) के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस तरह की पहल अत्यंत चुनौती पूर्ण है लेकिन इमानदारियों से कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्था 17 साल से अधिक स्वनाथ (अनाथ) बालक–बालिकाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है उन्हें इस काबिल बना रहे हैं ताकि वह सरकारी नौकरियां करें और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए उदाहरण पेश करें।