बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए स्वर्णयुग की शुरुआत : एस पी शाही
नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
नई दिल्ली/बोधगया। देश में उच्च शिक्षा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की उपस्थिति में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर जिस करार पर हस्ताक्षर किए गए, वह बिहार ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी मील का पत्थर है। इस एमओयू के माध्यम से मगध विश्वविद्यालय परिसर में भारत का पहला “विश्वविद्यालय आधारित प्रौद्योगिकी केंद्र” स्थापित किया जाएगा। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शाही ने इसे बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए “स्वर्ण युग की शुरुआत” बताया और कहा कि यह प्रौद्योगिकी केंद्र न केवल छात्रों को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार और नवाचार को भी नई गति देगा।
राष्ट्रपति की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशिष्ट गरिमा प्रदान की और देश के युवाओं के लिए नव अवसरों के द्वार खोल दिए। इस केंद्र के माध्यम से तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, स्टार्टअप संवर्धन और नवाचार को एक नई दिशा मिलेगी। यह केंद्र आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा और उद्यमिता के समावेशी मॉडल के रूप में स्थापित होगा। इस ऐतिहासिक घड़ी के साक्षी बने मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी शाही, कुलसचिव प्रो. बिपिन कुमार, पीआरओ डॉ. गोपाल सिंह तथा गृहविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. दीपशिखा पांडेय।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय की सिंडिकेट की विशेष बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थी। समारोह के दौरान राष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति ने इस उपलब्धि को एक राष्ट्रीय सम्मान में बदल दिया। यह दिन मगध विश्वविद्यालय के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होने लायक है— जब ज्ञान, तकनीक और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना एक मंच पर साकार होती दिखी।