नवबिहार टाइम्स ब्यूरो
औरंगाबाद। आर्द्रा नक्षत्र की शुरुआत 22 जून से होगी जो आगामी 6 जुलाई तक रहेगी। आर्द्रा नक्षत्र में औरंगाबाद जिले के अंबा स्थित सतबहिनी मंदिर में लगने वाला मेला स्थानीय समुदाय को एकजुट करता है। लोग बेसब्री से हर वर्ष इस नक्षत्र का इंतजार करते हैं। सतबहिनी मंदिर भक्ति, शक्ति और स्थापत्य कला का अनूठा प्रतीक है। यह मंदिर मां दुर्गा के सात स्वरूपों को समर्पित है। यह शक्ति उपासना का प्राचीन केंद्र होने के साथ अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। मंदिर की स्थापत्य शैली इसे और भी खास बनाती है।
उत्तर भारत में प्रचलित नागर शैली से अलग, यह मंदिर दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में निर्मित है। उंचे गोपुरम, जटिल नक्काशी और समृद्ध सौंदर्य इसकी वास्तुकला की विशेषताएं हैं। सतबहिनी मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। कथाओं में कहा जाता है कि इस स्थान पर एक स्वर्णकार समाज की महिला सती हुई थी, जिसके बाद यह स्थल सती माई के मंदिर के नाम से जाना गया। बाद में एक संत को यहां मां दुर्गा के सात स्वरूपों का दर्शन हुआ। इसके फलस्वरूप सात वेदियों की स्थापना की गई।
प्रारंभ में पूजा एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे होती थी, जिसके तने पर मां दुर्गा की सात आकृतियां उभरी थीं। स्थानीय लोगों ने इनकी आराधना शुरू की और धीरे-धीरे इस स्थान की पवित्रता और चमत्कारी शक्ति की ख्याति फैल गई। कुछ वर्ष पहले आंधी में प्राचीन बरगद का पेड़ और पुराना मंदिर नष्ट हो गया था। श्रद्धालुओं की अटूट आस्था ने इस स्थान को नया जीवन दिया। धार्मिक न्यास समिति ने जनसहयोग से करोड़ों की लागत से द्रविड़ शैली में भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। यह मंदिर अब अपनी अनूठी वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए चर्चा में है।