गुलाल की रंगत में घुली परंपरा और संस्कृति का सुरम्य संगम
नवबिहार टाइम्स संवाददाता
औरंगाबाद।
होली की मस्ती, रंगों की छटा और सांस्कृतिक विरासत की मोहक गूंज—ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के होली मिलन समारोह ने इन सभी रंगों को एक ही मंच पर बिखेर दिया। जेपी सभागार में आयोजित इस भव्य आयोजन में जब महिलाओं ने अपनी सधी हुई प्रस्तुतियों से रस, छंद और सौहार्द की बयार बहाई, तो पूरा वातावरण मानो बृज की गलियों की तरह गुलाल और उमंग में सराबोर हो गया। जब कॉन्फ्रेंस की महिला विंग ने बेहद कुशलता से रंगों के साथ परम्परा और संस्कृति के विविध आयामों से समृद्धि प्रदान की तो बुधवार की रात जेपी सभागार में आयोजित ये कार्यक्रम अपनी पूरी भव्यता में नज़र आया।
“ऐसी होली खेली कन्हाई, रंग गए बृज के नर-नारी…” जैसे पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियों के बीच जब अबीर और गुलाल की हवाएं बहने लगीं, तो लगा मानो बृजभूमि की अलौकिक छवि साकार हो उठी। ‘गोरिया करी के सिंगार, अंगना में पिसे ली हरदिया ….’ होली खेले रघुबीरा अवध में …. से ले कर रंग बरसे भीगे चुनर वाली …जैसे होली गीतों ने भी माहौल को उसकी रंगत और मस्ती प्रदान की. महिला विंग की संजना किशोर, सलोनी अंबष्ट, डॉ. नीलम रानी, मांडवी वर्मा, लक्ष्मी वर्मा, कामिनी वर्मा, निभा सिन्हा, स्मिता सिन्हा, अंजू सिन्हा, रश्मि सिन्हा, बबीता सिन्हा, आरती माथुर, पल्लवी प्रिया, आशा सिन्हा, विमला सिन्हा, ममता सिन्हा, अर्पणा सहाय, डॉ. मुग्धा किशोर, डॉ. साक्षी अंबष्ट, संस्कृति किशोर, साक्षी सिन्हा, तेजस्वी सूर्या, अक्षिता सिन्हा, यशी किशोर समेत तमाम महिलाओं ने नृत्य, संगीत और पारंपरिक होली गीतों से मंच को जीवंत कर दिया।
होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि उल्लास, मिलन और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का प्रतीक भी है। जब मंच से काव्यधारा बही, तब माहौल और भी रससिक्त हो उठा।
पारंपरिक होली गीतों के साथ-साथ लोक गायन और नृत्य ने भी समां बांधा। रंग और राग का ऐसा अद्भुत संगम, जिसमें हर मन हर्षित था और हर चेहरा गुलाल से सजा हुआ था। कार्यक्रम की भव्यता में चार चांद लगाने पहुंचे ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर, नगर पंचायत नवीनगर के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा उर्फ मुना भैया, जिला महासचिव अजय कुमार वर्मा, श्रीराम अंबष्ट, अजय कुमार संतोष, महेंद्र प्रसाद सिन्हा, मधुसूदन प्रसाद सिन्हा, प्रेम सिन्हा, गणेश प्रसाद सिन्हा, संजय सिन्हा, सुनील सिन्हा, राजू रंजन, राजेश कुमार, सूर्यकांत, मुकुल सिन्हा, अमित कुमार, उदय कृष्ण, संजीवनी मुकेश, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. अभिषेक, डॉ. शशांक, कौस्तुभ किशोर, श्रेयस बी. चंद्रा, शिवम सिन्हा, अभिषेक माथुर, अभिनव माथुर, मनोज श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, पंकज कुमार, यश सिन्हा और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस औरंगाबाद के जिला मीडिया प्रभारी दीपक बलजोरी सहित सैकड़ों लोग इस रंगोत्सव के साक्षी बने।
यह आयोजन महज एक उत्सव भर नहीं था, बल्कि यह अपने भीतर संस्कृति और परंपरा का संवेदनशील स्पर्श समेटे हुए था। विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने अपनी उपस्थिति से इस होली मिलन को और गरिमामयी बना दिया। मंच पर जब परंपरागत होली गीतों की सुमधुर ध्वनि गूंजी, तब सभागार में बैठे हर शख्स के मन में होली के प्रति नई उमंग जाग उठी। गुलाल में रचे-बसे इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि होली केवल रंगों की नहीं, बल्कि अपनत्व, भाईचारे और संस्कृति की सजीव अभिव्यक्ति है। जब समापन की बेला आई, तो सभी के चेहरे गुलाल से सजे थे और मन में रंगों से भी ज्यादा गहरे प्रेम, सौहार्द और अपनत्व के भाव थे।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर, नगर पंचायत नवीनगर के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा, अजय कुमार संतोष महेंद्र प्रसाद, संजय सिन्हा, अजय वर्मा ने किया. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डॉ. कमल किशोर ने कहा कि जीकेसी का ये कार्यक्रम हमारी परम्परा के प्रति सम्मान और अपनी जड़ों से जुड़े रहने का प्रतीक है।